हैदराबाद: हिंदू सनातन धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या दोनों का महत्व है. इन तिथियों पर जातक विधि-विधान से पूजा-पाठ करते हैं और इसके सकारात्मक परिणाम भी मिलते हैं. वैसे मौनी अमावस्या पौष महीने में हर बार आती है, लेकिन इस बार महाकुंभ 2025 चल रहा है, जिस वजह से इसका महत्व और भी बढ़ गया है. ऐसी मान्यता है कि इस दिन मौन व्रत रखा जाता है. यह तिथि पूर्वजों को भी याद करने की होती है. आइये विस्तार से जानते हैं.
लखनऊ के सिद्धिविनायक ज्योतिष एवं वास्तु अनुसंधान केंद्र के ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र ने बताया कि इस दिन विधि-विधान से पूजा-पाठ करने से आत्मा का शुद्धिकरण होता है और अगर पूर्वजों की याद में तर्पण और दान किया जाए तो उनका आशीर्वाद भी प्राप्त होता है. उन्होंने कहा कि हमारे यहां उदया तिथि को ध्यान में रखकर व्रत रखे जाते हैं इसलिए इस बार मौनी अमावस्या 2025 बुुधवार 29 जनवरी को मनाई जाएगी.
पितरों का किया जाता है तर्पण
ज्योतिषाचार्य डॉ. उमाशंकर मिश्र के मुताबिक मौनी अमावस्या 2025 पर स्नान-दान के साथ पितरों का तर्पण करना शुभ माना जाता है, लेकिन कुछ नियमों का भी ध्यान रखना जरूरी होता है. उन्होंने कहा कि सबसे पहले व्रत और पूजा का संकल्प लेना चाहिए. उसके बाद आगे की विधि करनी चाहिए.