जमशेदपुर: इंडियन मेडिक एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. जी.सी. माझी और मानद सचिव डॉ. सौरव चौधरी द्वारा जमशेदपुर (पूर्वी) के विधायक सरयू राय पर डॉ. रेणुका चौधरी को प्रताड़ित करने का आरोप लगाने का मामला अब तूल पकड़ता जा रहा है. इसे जमशेदपुर (पूर्वी) विधायक सरयू राय ने गंभीरता से लिया है. सरयू राय ने इस संबंध में झारखंड विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन की जमशेदपुर शाखा के अध्यक्ष डॉ. जीसी माझी और मानद सचिव डॉ. सौरव चौधरी पर कार्रवाई की मांग की है.
विधायक से सरकार से पूछा था सवाल
विधायक सरयू राय ने अपने पत्र में लिखा है कि उन्होंने पूर्वी सिहंभूम जिले के सिविल सर्जन डॉ जुझार मांझी से जुड़े मामले में सरकार से सवाल पूछा था, जिसका जवाब सरकार ने एक मार्च को विधानसभा के पटल पर दिया था. उन्होंने सरकार से जानना चाहा था कि क्या डॉ. जुझार मांझी के विरूद्ध सरकार की ओर से की गई कार्रवाई पूर्वी सिंहभूम जिला के पूर्व यक्ष्मा पदाधिकारी डॉ. रेणुका चौधरी के मामले से संबंधित है? इसके बाद उन्होंने सरकार से रेणुका चौधरी के सेवा काल के दौरान लंबे समय तक काम से अनुपस्थित रहने, उपस्थिति रजिस्टर पर फर्जी हस्ताक्षर करने आदि के बारे में भी जानकारी मांगी. उन्होंने कहा कि सरकार ने उन्हें जो जवाब दिया है, वह भ्रामक है. इसमें जानबूझ कर तथ्य छिपाये गये हैं. सरयू राय ने लिखा कि 17 मार्च 2023 को विधायक सीपी सिंह ने विधानसभा में डॉ. रेणुका चौधरी को लेकर सवाल उठाया था. स्वास्थ्य सचिव ने रेणुका चौधरी के खिलाफ जांच के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का भी गठन किया था. इस जांच कमेटी ने रेणुका चौधरी को दोषी माना था.
सेवा से गायब रहने के बावजूद लिए वेतन
सरयू राय ने कहा डॉ.रेणुका चौधरी दिनांक 01.09.1995 से 07.05.2001 तथा 08.05.2001 से 17.01.2006 तक की अवधि के दौरान सेवा से अनुपस्थित रहीं, इस अवधि के दौरान उन्होंने उपस्थिति पंजिका पर फर्जी हस्ताक्षर किये तथा इस अवधि का वेतन भी लिया. हालांकि, बाद में वह वर्ष 2011 में सेवानिवृत्त हो गईं, इसलिए तीन सदस्यीय जांच समिति ने पेंशन अधिनियम के तहत उनकी पेंशन से 100% कटौती का आदेश दिया. लेकिन उपस्थिति पंजिका में उनके द्वारा किये गये फर्जी हस्ताक्षर, कार्यालय से संबंधित दस्तावेजों को गायब कर देना, जिस लिपिक के पास ये दस्तावेज थे उनकी हत्या कर देना तथा दस्तावेजों को गायब करने वाले दोषियों पर कोई कार्रवाई नहीं करना आदि पर सरकार मौन रही. सरकार की ओर से कहा गया कि दोषियों की पहचान कर कार्रवाई की जाएगी. लेकिन एक साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी सरकार ने इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की है. इस संबंध में जब उन्होंने सदन में सरकार से सवाल पूछा तो जवाब दिया गया कि हाईकोर्ट में दायर याचिका पर आदेश आने के बाद उसके अनुरूप कार्रवाई की जा सकती है.