रांची: बिरसा कृषि विश्वविद्यालय में आयोजित तीन दिवसीय एग्रोटेक किसान मेला का समापन हो गया. किसान मेला के समापन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए झारखंड के राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा है कि कृषि यानी खेती-किसानी ही सभी संस्कृति की जननी है और बिना कृषि के किसी भी संस्कृति की कल्पना नहीं की जा सकती है. भारत सरकार द्वारा हरित क्रांति के जनक डॉ एम.एस स्वामीनाथन और पूर्व प्रधानमंत्री, किसान नेता चौधरी चरण सिंह को भारत रत्न प्रदान करने का जिक्र करते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने कृषि वैज्ञानिकों और किसानों का सम्मान बढ़ाया है.
मैं भी किसान परिवार से आता हूंः राज्यपाल
एग्रोटेक किसान मेला 2024 के समापन समारोह में राज्यपाल ने अपने संबोधन में कहा कि मैं भी कई पीढ़ियों से किसान रहा हूं. अब तक साल में 4 महीने धान की खेती करता रहा हूं, इसलिए कृषि और किसान से जुड़े कार्यक्रम में जाने से ऐसा लगता है कि मैं अपने घर में आ गया हूं.
जापानी आम जैसा आम विकसित करें बीएयू के वैज्ञानिक
अपने संबोधन के दौरान राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि उन्होंने कहीं पढ़ा है कि जापान में आम का एक ऐसा प्रभेद है जो 3000 रुपये में बिकता है. यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक अगर इसी तरह का आम विकसित करें तो किसानों की आमदनी बढ़ेगी, उनका जीवन खुशहाल होगा. राज्यपाल ने आम के जापानी प्रभेद के साथ साथ अन्य उन्नत किस्मों को झारखंड में लगाने, उसके लिए उपयुक्तता की जांच करने हेतु विशेष शोध प्रयास करने का सुझाव भी बीएयू के कृषि वैज्ञानिकों को दिया.
राज्यपाल ने कहा कि संभव है कि शोध में कई बार इच्छानुसार नतीजे नहीं आए, लेकिन तमाम विफलताओं के बावजूद प्रयास नहीं छोड़ना चाहिए. विश्वविद्यालय हित, किसान हित में अपने वरिष्ठ जनों को भी खरी सलाह देने में कोई संकोच या हिचक नहीं रखने का कनीय पदाधिकारियों-कर्मचारियों को सलाह देते हुए राज्यपाल सीपी राधाकृष्णन ने कहा कि कई बार पद ओहदा में छोटे लोग भी राष्ट्र, समाज और संस्था के हित में बहुत नेक सलाह दे जाते हैं.
राज्यपाल ने कहा कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना, किसानों के हित में उठाया गया क्रांतिकारी कदम है. राज्यपाल ने शोध प्रयासों और उपलब्धियों के लिए बीएयू की सराहना करते हुए निर्देश दिया कि किसानों के लिए विश्वविद्यालय में एक स्थायी परामर्श केंद्र खोला जाए, जहां से किसानों को बिना किसी औपचारिकता के विशेषज्ञों से मुलाकात और जरूरी जानकारी मिल सके. किसान अपनी कृषि संबंधी तकनीकी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर सकें.