नई दिल्ली: मणिपुर में मैतेई और कुकी के बीच जातीय हिंसा, जो मई 2023 की शुरुआत में भड़की थी, कम होने का नाम नहीं ले रही है. इस चल रहे संघर्ष में रोजाना झड़पें होती रहती हैं और हाल की रिपोर्ट्स में ड्रोन और रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड (RPG) सहित उन्नत हथियारों के कथित इस्तेमाल पर प्रकाश डाला गया है. 1 सितंबर, 2024 को इंफाल पश्चिम के कोत्रुक में कुकी उग्रवादियों द्वारा कथित तौर पर किए गए ड्रोन हमले में एक व्यक्ति की मौत हो गई और तीन सुरक्षाकर्मियों सहित कई अन्य घायल हो गए.
इसके बाद मणिपुर में कई और ऐसे ही हमले हुए, जिससे पता चलता है कि अत्याधुनिक हथियारों के इस्तेमाल से संघर्ष और बढ़ गया है. राष्ट्रीय सुरक्षा के नजरिए से हिंसा की प्रकृति में आए इस बदलाव ने प्रभावी संघर्ष समाधान की जरूरत को कम कर दिया है. हिंसा के मूल कारणों और सामाजिक प्रतिक्रियाओं को संबोधित करने के बजाय इन हथियारों के स्रोतों की जांच करने पर ज्यादा ध्यान दिया गया है.
राज्य का रेस्पांस अपर्याप्त
मैतेई-कुकी संघर्ष के प्रति राज्यों की प्रतिक्रिया काफी हद तक अपर्याप्त रही है. दृष्टिकोण मुख्य रूप से सुरक्षा-केंद्रित रहा है, जिसमें कर्फ्यू और इंटरनेट निलंबन जैसे कानून-व्यवस्था के उपाय हिंसा को रोकने के लिए किए गए हैं. हालांकि ये रणनीतियाँ पारंपरिक हैं, लेकिन वे संघर्ष के अंतर्निहित मुद्दों के बजाय लक्षणों को संबोधित करती हैं.29 जून 2024 को मुख्यमंत्री बीरेन सिंह के दावों के बावजूद कि संघर्ष जल्द ही हल हो जाएगा, सितंबर में हुई हिंसा में वृद्धि इन आश्वासनों का खंडन करती है.
सुरक्षा संबंधी चिंताओं में कथित तौर पर कुकी द्वारा समर्थित म्यांमार से अवैध प्रवास, कुकी-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में अफीम की खेती और उग्रवादी समूहों को हथियार सप्लाई करने वाले बाहरी तत्व शामिल हैं, सरकारों द्वारा पहचान की गई हैं जिन्हें संबोधित करने के लिए प्राथमिकता दी गई है. हालांकि ये चिंताएं वैध हैं, लेकिन राज्य की प्रतिक्रिया प्रभावी हस्तक्षेप के बिना पहचान तक ही सीमित रही है.
मुख्यमंत्री का यह आश्वासन कि संघर्ष समाधान एनडीए-3 सरकार की 100 दिवसीय योजना का हिस्सा था, जो 4 जून को शुरू हुई थी। कांग्रेस के अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे जैसे लोगों ने इसकी घोर विफलता के रूप में आलोचना की है.