Govardhan Puja: गोवर्धन पूजा एक प्रमुख हिंदू त्यौहार है जो दिवाली की मुख्य लक्ष्मी पूजा के अगले दिन कार्तिक महीने की प्रतिपदा तिथि को होता है. इस साल गोवर्धन पूजा शनिवार 2 नवंबर को है. यह उत्सव भगवान श्रीकृष्ण के भक्तों के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. ब्रज वासियों को क्रोधित इंद्र और भारी बारिस से बचाने के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी छोटी उंगुली पर गोवर्धन पर्वत को उठा लिया. इसके बाद से इस तिथि पर ब्रजवासी भगवान श्रीकृष्ण का आभार जताने के लिए गोवर्धन पूजा करने लगे.
गोवर्धन पूजा का पौराणिक व धार्मिक महत्व :गोवर्धन पूजा की उत्पत्ति प्रभु कृष्ण द्वारा ग्रामीणों और मवेशियों को बारिश के देवता भगवान इंद्र के प्रकोप से बचाने के लिए गोवर्धन पर्वत को उठाने की किंवदंती में निहित है. हिंदू शास्त्रों के अनुसार, भगवान श्रीकृष्ण ने लोगों को इंद्र के लिए अनुष्ठान करने के बजाय गोवर्धन पर्वत की पूजा करने के लिए राजी किया. जिससे इंद्रदेव ब्रजवासियों पर नाराज हो गये थे और क्रोधित होकर इंद्रदेव ने मूसलाधार बारिश कर दी. तब भगवान कृष्ण ने अपनी छोटी उंगली पर पर्वत को उठाया और अपने लोगों की रक्षा तब तक की जब तक इंद्रदेव ने आत्मसमर्पण नहीं कर दिया. यह पौराणिक कथाभगवान श्रीकृष्ण की "धर्म के रक्षक" भूमिका को दर्शाती है.
Govardhan Puja को अन्नकूट (जिसका अर्थ है 'भोजन का पहाड़') के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि भगवान श्रीकृष्ण उनके आगे छप्पन भोग (व्यंजनों) का प्रसाद लगाया जाते हैं. विभिन्न व्यंजनों का प्रसाद चढ़ाया जाता है, जो उनकी सुरक्षा और आशीर्वाद के लिए आभार व्यक्त करता है. भक्त कई तरह के व्यंजन तैयार करते हैं, जिसमें मिठाई और नमकीन चीजें शामिल हैं, जो प्रकृति की प्रचुरता और भोजन के प्रति भगवान श्रीकृष्ण के प्रेम का प्रतिनिधित्व करती हैं.
मुहूर्त और पूजा अनुष्ठान : घर या मंदिरों में गोवर्धन पूजा करने वालों के लिए, अनुष्ठानों में गाय के गोबर का उपयोग करके गोवर्धन पर्वत महाराज की आकृति बनाना शामिल है, जिसे फिर अन्न, फूलों और अन्य वस्तुओं से सजाया जाता है. गोवर्धन महाराज के पास ही ब्रजवासी और पशुओं की छवि भी बनाई जाती है. परिवार के सभी सदस्य और अन्य भक्त प्रार्थना करने, भक्ति गीत गाने और बहुत भक्ति के साथ पौराणिक घटना को निभाने व Govardhan Puja के लिए इकट्ठा होते हैं. सात बार परिक्रमा और बड़ों का आशीर्वाद लेकर सभी को प्रसाद बांटा जाता है.
Govardhan Puja के दौरान, विभिन्न वस्तुओं का उपयोग किया जाता है, जिसमें फूल, मिठाई और प्रतीकात्मक छप्पन भोग (56 विभिन्न खाद्य पदार्थों का प्रसाद) शामिल हैं. यह भगवान श्री कृष्ण के भोजन का आनंद लेने के साथ-साथ प्रकृति और समृद्धि के प्रति कृतज्ञता को दर्शाता है. गोवर्धन पर्वत की प्रतिकृति बनाने और उसके चारों ओर परिक्रमा करने की रस्म प्रकृति व ईश्वर के प्रति सम्मान और श्रद्धा का प्रतीक है.