कीव: अमेरिका का मानना है कि रूस ने यूक्रेन पर अपने हमले में गुरुवार को एक ऐसी मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल दागी, जिसका पहले कभी इस्तेमाल नहीं किया गया था. विश्लेषकों का कहना है कि इससे यूरोपीय मिसाइल सुरक्षा पर असर पड़ सकता है.
यह किस प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइल है? :अमेरिकी सेना ने कहा कि रूसी मिसाइल का डिजाइन रूस की लंबी दूरी की RS-26 रुबेज अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल (ICBM) के डिजाइन पर आधारित है. अधिकारियों ने कहा कि नई मिसाइल प्रायोगिक थी और रूस के पास इस तरह की संभवतः कुछ ही मिसाइलें हैं. पेंटागन ने कहा कि मिसाइल को पारंपरिक वारहेड से दागा गया था, लेकिन मॉस्को चाहे तो इसे संशोधित कर सकता है.
पेंटागन की प्रवक्ता सबरीना सिंह ने कहा कि इसे निश्चित रूप से विभिन्न प्रकार के पारंपरिक या परमाणु वारहेड ले जाने के लिए फिर से तैयार किया जा सकता है. कैलिफोर्निया में मिडिलबरी इंस्टीट्यूट ऑफ इंटरनेशनल स्टडीज के एक अप्रसार विशेषज्ञ जेफरी लुईस ने कहा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पहले संकेत दिया था कि वाशिंगटन और बर्लिन द्वारा 2026 से जर्मनी में लंबी दूरी की अमेरिकी मिसाइलों को तैनात करने पर सहमति जताए जाने के बाद रूस एक मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) प्रणाली के विकास को पूरा करेगा.
लुईस ने कहा कि आरएस-26 हमेशा से ही एक प्रमुख उम्मीदवार था. सिंह ने कहा कि मिसाइल के नए संस्करण को पेंटागन प्रयोगात्मक मान रहा है. उन्होंने कहा कि यह पहली बार है कि हमने इसे युद्ध के मैदान में इस्तेमाल होते देखा है... इसलिए हम इसे प्रयोगात्मक मानते हैं.
अमेरिका और ब्रिटेन के सूत्रों ने संकेत दिया कि उनका मानना है कि डीनिप्रो पर दागी गई मिसाइल एक प्रयोगात्मक परमाणु-सक्षम, मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइल (आईआरबीएम) थी. जिसकी सैद्धांतिक सीमा 3,420 मील (5,500 किमी) से कम है. हालांकि, इसके बावजूद यह यूरोप तक पहुंचने के लिए पर्याप्त है. जहां से इसे दक्षिण-पश्चिमी रूस में दागा गया था, लेकिन अमेरिका तक नहीं. यूक्रेन की वायु सेना ने शुरू में कहा था कि मिसाइल एक आईसीबीएम थी. अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, IRBM लांच करने से कम खतरनाक संकेत तो मिले, लेकिन इस घटना से अलार्म बज सकता है. मॉस्को ने लॉन्च से पहले वाशिंगटन को इस बारे में संक्षिप्त सूचना दी.
क्या रूस के मिसाइल हमले से नाटो प्रभावित होगा?इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्ट्रैटेजिक स्टडीज के टिमोथी राइट ने कहा कि रूस की ओर से नई मिसाइलों के विकास से नाटो देशों में यह निर्णय प्रभावित हो सकता है कि कौन सी वायु रक्षा प्रणाली खरीदी जाए और कौन सी आक्रामक क्षमताएं अपनाई जाएं. उत्तरी पोलैंड में एक नए अमेरिकी बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा बेस पर पहले ही मॉस्को की नाराजगी भरी प्रतिक्रियाएं आ चुकी हैं. रेडजिकोवो में अमेरिकी बेस एक व्यापक नाटो मिसाइल शील्ड का हिस्सा है और इसे छोटी से मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को रोकने के लिए डिजाइन किया गया है. फिर भी, पुतिन ने कहा कि गुरुवार को किये गये हमले हाल ही में पश्चिमी देशों से मिले हथियारों के साथ रूसी क्षेत्र के अंदर यूक्रेन द्वारा किए गए लंबी दूरी के हमलों की प्रतिक्रिया थी. पुतिन ने कहा कि राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन से मंजूरी मिलने के बाद, यूक्रेन ने 19 नवंबर को अमेरिका निर्मित अटैक्स और 21 नवंबर को ब्रिटिश स्टॉर्म शैडो मिसाइलों और अमेरिका निर्मित हिमर्स के साथ रूस पर हमला किया.
व्लादिमीर पुतिन ने नई मिसाइल के बारे में क्या कहा है?:रूसी राष्ट्रपति ने राष्ट्र के नाम एक टेलीविज़न संबोधन में स्वीकार किया कि मॉस्को ने एक नई बैलिस्टिक मिसाइल से यूक्रेनी सैन्य सुविधा पर हमला किया था. उन्होंने कहा कि इस मिसाइल का नाम 'ओरेशनिक' (हेजल) है. उन्होंने कहा कि इसकी तैनाती मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों का उत्पादन और तैनाती करने की अमेरिकी योजनाओं का जवाब थी. रूस तनाव बढ़ने की स्थिति में निर्णायक और सममित रूप से जवाब देगा. मास्को ने कहा कि उसने यूक्रेन के मध्य शहर द्निप्रो में एक मिसाइल और रक्षा फर्म को निशाना बनाया. रूस का दावा है कि मिसाइल से उस क्षेत्र पर हमला किया गया जहां यूक्रेन की मिसाइल और अंतरिक्ष रॉकेट कंपनी पिवडेनमाश, जिसे रूसियों द्वारा युजमाश के नाम से जाना जाता है, स्थित है.
पुतिन ने कहा कि रूस यूरोप और एशिया में मध्यम और छोटी दूरी की मिसाइलों के अमेरिका द्वारा नियोजित उत्पादन और फिर तैनाती के जवाब में छोटी और मध्यम दूरी की मिसाइलों का विकास कर रहा है. रूसी राष्ट्रपति ने मध्यम दूरी की परमाणु शक्ति (आईएनएफ) संधि का जिक्र करते हुए कहा कि मेरा मानना है कि अमेरिका ने 2019 में एक दूरगामी बहाने के तहत मध्यम दूरी और छोटी दूरी की मिसाइलों के उन्मूलन पर संधि को एकतरफा नष्ट करके गलती की है. अमेरिका ने 2019 में रूस के साथ 1987 (आईएनएफ) संधि से औपचारिक रूप से वापस ले लिया था. ऐसा करते हुए अमेरिका ने मास्को समझौते का उल्लंघन करने का आरोप लगाया था. हालांकि, तब रूस ने इन आरोपों का खंडन किया था.