किशिदा-बाइडेन की मुलाकात के बीच जापान, द.कोरिया और अमेरिका का दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास, जानें क्या हैं मायने - us japan Philippines S Korea ties
US Japan South Korea Hold Drills : बाइडेन के साथ की मेजबानी के बीच अमेरिका, जापान और दक्षिण कोरिया ने विवादित दक्षिण चीन सागर में युद्धाभ्यास किया. पढ़ें क्यों महत्वपूर्ण है जापान और दक्षिण कोरिया की साझेदारी और क्या है इस अभ्यास के मायने...
एक F-18E फाइटर जेट यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट विमान वाहक पोत से उड़ान भरने की तैयारी में.
यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट :अमेरिकी बेड़े यूएसएस थियोडोर रूजवेल्ट के नेतृत्व में एक स्ट्राइक समूह ने अपने सहयोगियों जापान और दक्षिण कोरिया के साथ तीन दिवसीय संयुक्त अभ्यास आयोजित किया. यह अभ्यास ऐसे समय में किया गया जब अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन व्हाइट हाउस में जापान और फिलीपींस के नेताओं के साथ बातचीत और मुलाकात कर रहे थे. कूटनीतिक रूप से महत्वपूर्ण और विवाद पूर्वी चीन सागर चीन की आक्रामक सैन्य कार्रवाइयों के सामने, अमेरिका और उसके सहयोगियों एकजुटता को दर्शाता है.
कई अमेरिकी और दक्षिण कोरियाई निर्देशित मिसाइल विध्वंसक और एक जापानी युद्धपोत विवादित पूर्वी चीन सागर में 10-12 अप्रैल तक अभ्यास में शामिल हुए. इस क्षेत्र पर चीन का दावा है. जिसको लेकर जापान और दक्षिण कोरिया चिंता जता चुके हैं.
कैरियर स्ट्राइक ग्रुप नाइन के कमांडर, रियर एडमिरल क्रिस्टोफर अलेक्जेंडर ने कहा कि तीनों देशों ने समुद्र के नीचे युद्ध अभ्यास, समुद्री निषेध अभियान, खोज और बचाव अभ्यास और संचार और डेटा साझाकरण पर ध्यान केंद्रित किया. उन्होंने गुरुवार को रूजवेल्ट में पत्रकारों से कहा कि इन अभ्यासों से संयुक्त राज्य अमेरिका और उसके सहयोगियों के बीच संचार को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी. उन्होंने कहा कि इस अभ्यास के बाद हम क्षेत्र में आने वाले संकटों से बेहतर ढंग निपट सकेंगे.
इस अभ्यास को कवर करने के लिए पत्रकारों को अमेरिकी प्रशांत वायु शक्ति के केंद्र, कडेना एयर बेस से एक घंटे से अधिक समय की फ्लाइट लेनी पड़ी.
एफ/ए-18ई सुपर हॉर्नेट लड़ाकू विमानों ने वाहक के उड़ान डेक से उड़ान भरी, जिसमें पनडुब्बी रोधी एमएच-60आर सीहॉक हेलीकॉप्टर भी थे. कडेना जापान के दक्षिणी द्वीप ओकिनावा पर है, जो जापान में तैनात 50,000 अमेरिकी सैनिकों में से लगभग आधे का घर है.
अलेक्जेंडर ने कहा कि यह एक व्यस्त समय है; दुनिया में बहुत कुछ चल रहा है. इस अभ्यास का महत्व यह है कि हमारे पास तीन समान विचारधारा वाले देश हैं, तीन समान विचारधारा वाली नौसेनाएं हैं जो पश्चिमी प्रशांत क्षेत्र में शांति, सुरक्षा और स्थिरता में विश्वास करती हैं.
जापान और दक्षिण कोरिया की भागीदारी कभी-कभी सतर्क पड़ोसियों के बीच संबंधों में सुधार का एक और संकेत थी. कोरियाई प्रायद्वीप पर जापान के आधी सदी के उपनिवेशीकरण की स्मृति से दोनों अमेरिकी सहयोगियों के संबंध अक्सर तनावपूर्ण रहे हैं. वाशिंगटन उन पर सहयोग करने के लिए दबाव डाल रहा है ताकि तीनों साझेदार चीन और उत्तर कोरिया के खतरों से बेहतर ढंग से निपट सकें.
इस सप्ताह के संसदीय चुनाव में दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यूं सुक येओल की सत्ताधारी पार्टी की भारी हार कोरिया और जापान-अनुकूल संबंधों पर असर डाल सकती है. हालांकि, विशेषज्ञों का मानना है कि संबंध स्थिर रहेंगे. नवीनतम नौसैनिक अभ्यास इंडो-पैसिफिक देशों के साथ सुरक्षा और राजनयिक जुड़ाव को गहरा करने के बाइडेन की योजना का हिस्सा माना जा रहा है.
बिडेन ने गुरुवार को अपनी पहली त्रिपक्षीय वार्ता के लिए जापानी प्रधान मंत्री फुमियो किशिदा और फिलीपीन के राष्ट्रपति फर्डिनेंड मार्कोस को व्हाइट हाउस में आमंत्रित किया. उन्होंने घोषणा की कि प्रशांत सहयोगियों के लिए अमेरिकी रक्षा प्रतिबद्धता 'दृढ़' है. विवादित दक्षिण चीन सागर में दोनों देशों के तटरक्षक जहाजों के बीच बार-बार झड़प को लेकर चीन और फिलीपींस के बीच तनाव बढ़ गया है. चीनी तट रक्षक जहाज भी नियमित रूप से ताइवान के पास विवादित जापानी-नियंत्रित पूर्वी चीन सागर द्वीपों पर आते रहे हैं.
बीजिंग ने दक्षिण चीन सागर में अपने अभियान का बचाव किया है और तनाव पैदा करने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को दोषी ठहराया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इस सप्ताह वियतनाम, रूस और ताइवान के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ सिलसिलेवार बातचीत की.
अमेरिका-जापान-दक्षिण कोरिया नौसैनिक अभ्यास की योजना दक्षिण चीन सागर में आयोजित जापान, अमेरिका, ऑस्ट्रेलिया और फिलीपींस के अभ्यास के बाद बनायी गई थी. प्रतिभागियों ने सावधानीपूर्वक चीन का उल्लेख करने से परहेज किया और कहा कि वे शांतिपूर्ण और स्थिर हिंद-प्रशांत की सुरक्षा के लिए अभ्यास कर रहे हैं. लंबे समय से विवादों का एक क्षेत्र, दक्षिण चीन सागर वैश्विक व्यापार के लिए एक प्रमुख समुद्री मार्ग के रूप में कार्य करता है. इस क्षेत्र में चीन के बढ़ते दबदबे को लेकर चिंतित सरकारों में वियतनाम, मलेशिया, इंडोनेशिया, ब्रुनेई और ताइवान भी शामिल हैं.