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जब मुर्दा उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने उतरे अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति, जानें क‍िसकी हुई जीत? 5 नवंबर से खास कनेक्शन - US ELECTION

अमेरिका चुनाव अपनी जटिल सिस्टम, ड्रामा और हिंसा के लिए मशहूर रहे हैं, लेकिन 1872 का राष्ट्रपति पद का चुनाव बाकी इलेक्शन से अलग है.

जब मुर्दा उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने उतरे अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति
जब मुर्दा उम्मीदवार के साथ चुनाव लड़ने उतरे अमेरिका के निवर्तमान राष्ट्रपति (ANI)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 5, 2024, 7:24 PM IST

वॉशिंगटन:अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का अपने फाइनल चरण में है. अमेरिकी मतदाता देश 47वें राष्ट्रपति को चुनने के लिए वोट कर रहे हैं. इस बार के राष्ट्रपति चुनाव को अमेरिका के बेहद दिलचस्प चुनावों में से एक बताया जा रहा है, जिसमें आखिरी दौर तक दोनों उम्मीदवारों यानी डोनाल्ड ट्रंप और कमला हैरिस के बीच कड़ी टक्कर बनी हुई है.

बता दें कि अमेरिका चुनाव अपनी जटिल सिस्टम, ड्रामा और हिंसा के लिए मशहूर रहे हैं, लेकिन 1872 का राष्ट्रपति पद का चुनाव बाकी इलेक्शन से अलग है. इस चुनाव में कुछ ऐसा हुआ जो न तो कभी इससे पहले देखने को मिला था और न ही कभी इसके बाद हुआ.

5 नवंबर को हुआ था चुनाव
दरअसल, 1872 के चुनाव एक निवर्तमान राष्ट्रपति दोबारा राष्ट्रपति दोबारा पद पर चुने जाने के लिए कब्र में पड़े एक व्यक्ति के खिलाफ मैदान में उतरे थे. गौरतलब है कि संयुक्त राज्य अमेरिका में 1872 का राष्ट्रपति चुनाव भी 5 नवंबर को ही हुआ था. यह इलेक्शन अमेरिकी इतिहास में एकमात्र ऐसा मामला है जिसमें चुनाव प्रक्रिया के दौरान किसी प्रमुख उम्मीदवार का निधन हो गया.

इलेक्टोरल कॉलेज के मतदान से पहले निधन
रिपोर्ट के मुताबिक चुनाव में तत्कालीन निवर्तमान राष्ट्रपति यूलिसिस एस ग्रांट दूसरी बार चुनाव लड़ रहे थे. उनके सामने न्यूयॉर्क ट्रिब्यून के संस्थापक और संपादक होरेस ग्रीली थे, जो ग्रांट प्रशासन के मुखर आलोचक थे. लोकप्रिय वोट के ठीक तीन सप्ताह बाद लेकिन इलेक्टोरल कॉलेज के मतदान से पहले 29 नवंबर को उनकी मृत्यु हो गई. उनकी मौत के बाद पहले ग्रीली के लिए प्रतिबद्ध मतदाताओं ने चार अन्य राष्ट्रपति पद के उम्मीदवारों और उपराष्ट्रपति पद के आठ उम्मीदवारों के लिए मतदान किया.

होरेस ग्रीली कौन थे?
ग्रीली न्यूयॉर्क ट्रिब्यून के संस्थापक-संपादक थे और ग्रांट के मुखर आलोचक थे. ग्रीली के पास कोई राजनीतिक अनुभव नहीं था और उनके स्पष्ट विचार कई मतदाताओं को पसंद नहीं आए. दूसरी ओर, ग्रांट लोकप्रिय थे और जैसा कि अनुमान था उन्होंने भारी जीत दर्ज की. बाद में उन्होंने कई दक्षिणी राज्यों को भी जीत लिया जो बाद में 20वीं सदी तक रिपब्लिकन नहीं बने.

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