दुशानबे: धार्मिक परिधानों पर कई साल तक अनौपचारिक रूप से प्रतिबंध लगाने के बाद ताजिकिस्तान सरकार ने देश में हिजाब पहनने पर औपचारिक रूप से प्रतिबंध लगा दिया है. यह विधेयक संसद के निचले सदन (मजलिसी नमोयंदागोन) ने 8 मई को पारित किया था और ईद के बाद 19 जून को ऊपरी सदन (मजलिसी मिल्ली) ने अप्रूव किया था.
अब सवाल यह है कि राष्ट्रपति इमोमाली राहमोन ऐसे देश में परिधान पर प्रतिबंध क्यों लगाना चाहते हैं, जहां लगभग 90% आबादी मुस्लिम है? दरअसल, रहमोन का मानना है कि हिजाब 'विदेशी परिधान' है.
ताजिकी संस्कृति को बढ़ावा देने की कोशिश
हिजाब पर प्रतिबंध राष्ट्रपति राहमोन द्वारा उठाए गए कदमों की सीरीज का ताजा कदम है, जो एक धर्मनिरपेक्ष सरकार का नेतृत्व करते हैं, जिसका उद्देश्य 'ताजिकी' संस्कृति को बढ़ावा देना और सार्वजनिक धार्मिकता की दृश्यता को कम करना है. यह उनकी राजनीति और सत्ता पर पकड़ से गहराई से जुड़ा हुआ है.
बता दें कि राहमोन 1994 से देश के राष्ट्रपति के रूप में कार्यरत हैं. अपने करियर की शुरुआत में वे धार्मिक राजनीतिक दलों के खिलाफ खड़े थे. उन्होंने तत्कालीन सोवियत समाजवादी गणराज्य ताजिकिस्तान के लोगों के डिप्टी के रूप में कार्य किया, जो उस समय यूएसएसआर का एक घटक राज्य था. 1991 में सोवियत संघ के पतन के बाद देश ने सोवियत समर्थकों (राहमोन इस समूह का हिस्सा थे) और जातीय-धार्मिक कबीलों के बीच गृहयुद्ध देखा, जिन्होंने संयुक्त ताजिक विपक्ष का गठन किया.
धर्म-आधारित राजनीतिक दलों पर बैन
पिछले दशकों में उन्होंने अपने अधिकार को मजबूत करने के लिए देश के संविधान में कई बदलाव किए. उन्होंने उन धर्म-आधारित राजनीतिक दलों पर भी प्रतिबंध लगा दिया है जो उनकी पार्टी को चुनौती दे सकते हैं.