ढाका:बांग्लादेश की सत्ता में करीब 20 साल से अधिक सत्ता पर काबिज रहीं शेख हसीना को देश के सबसे अडिग और सशक्त नेताओं में से एक के रूप में देखा जाता था. आवामी लीग के नेताओं ने कभी नहीं सोचा होगा कि, आरक्षण विरोधी छात्र आंदोलन शेख हसीना को प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने पर मजबूर कर देगा. जून में आरक्षण के खिलाफ शुरू हुए विरोध प्रदर्शन देखते ही देखते एक बड़े आंदोलन का रूप ले लिया. इस आंदोलन की आग ने किसी के घर जलाए तो किसी की बरसों पुरानी सत्ता छीन ली. बता दें कि, 5 अगस्त को आंदोलन को उग्र होता देख शेख हसीना ने पीएम पद से इस्तीफा देने को मजबूर हो गईं और वह आनन-फानन में देश छोड़कर भारत आ गईं.
बांग्लादेश में आरक्षण को लेकर छात्र आंदोलन और सियासी संकट
बता दें कि, इसी साल 23 जून को पार्टी ने अपना 75वां स्थापना दिवस मनाया था, लेकिन बांग्लादेश के इतिहास की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी का ऐसा हश्र तब किसी ने सोचा भी नहीं होगा. बांग्लादेश के सबसे लंबे समय तक प्रधानमंत्री को पद से हटाने के एक सप्ताह के भीतर, जिन छात्रों ने शेख हसीना को देश से बाहर निकल जाने के लिए मजबूर किया था, वे ढाका के यातायात को निर्देशित करते नजर आ रहे थे.
आंदोलन में शामिल छात्रों ने संभाला राजनीतिक मोर्चा
बांग्लादेश के ढाका समेत अन्य इलाकों की व्यस्त सड़कों पर नियॉन जैकेट पहने और गले में विश्वविद्यालय की आईडी लटकाए और हाथ में लाठी, छाता पकड़े ट्रैफिक पुलिस की तरह काम करते दिखे. देश में शेख हसीना के इस्तीफे के बाद उत्पन्न राजनीतिक संकट के बीच पुलिस हड़ताल पर चले गए. वहीं, पुलिस की कमी को पूरा करने के लिए छात्र सड़कों पर मुस्तैद थे. इस दौरान उन्होंने ड्राइवरों को रोककर उनके लाइसेंस की जांच की और सीट बेल्ट न पहनने पर उन्हें टोका. वाहन चेंकिग के दौरान कार के कुछ खुले डिब्बों को देखकर उन्हें लगा कि, शायद वे पिछली सरकार के अधिकारी हो सकते हैं, जो तस्करी के धन की तलाश में थे.
सड़क से लेकर मंत्रालय तक छात्रों से देश को उम्मीद
देश में उत्पन्न राजनीतिक संकट के समय छात्रों ने न केवल सड़कें संभाली हैं, बल्कि हसीना के खिलाफ अभियान का नेतृत्व करने वाले दो लोग अंतरिम सरकार में शामिल हो रहे हैं. शेख हसीना के इस्तीफा देने के बाद से ऐसी स्थिति देश में बनी है. छात्र आंदोलन के कारण देश में आवामी लीग की सरकार का तख्तापलट हो गया. हसीना ने 20 साल से अधिक बांग्लादेश पर शासन किया. उनकी पार्टी ने लगातार चार बार जीत हासिल की. कहा गया कि, उनकी सरकार निरंकुश हो गई थी.
अब आगे क्या होगा?
अब सवाल यह है कि, बांग्लादेश का आगे क्या होगा? शेख हसीना के पद छोड़ने के बाद देश हिंसा से पूरी तरह से ग्रसित है. अब तक हिंसा में सैकड़ों लोग मारे जा चुके हैं. प्रदर्शन के दौरान विरोधी नेता के तौर पर उभरे खेल और युवा मंत्रालय के प्रभारी आसिफ महमूद ने कहा कि, छात्रों को उम्मीद है कि बांग्लादेश के अंतरिम सरकार के प्रमुख मोहम्मद यूनुस देश में शांति और लोकतंत्र बहाल कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि, अंतरिम सरकार नया बांग्लादेश निर्माण करने की दिशा में कारगर साबित हो सकता है.
छात्र आंदोलन की अगुवाई करने वाले संभाल रहे राजनीतिक जिम्मेदारी
26 साल के महमूद ने कहा, उन्हें एक बड़ी जिम्मेदारी मिली है. उन्होंने कभी नहीं सोचा था और कभी ऐसी महत्वकांक्षा भी नहीं थी कि, उन्हें इस उम्र में ऐसी जिम्मेदारी निभानी पड़ेगी. बांग्लादेश में छात्रों के नेतृत्व में विरोध प्रदर्शन सरकारी नौकरियों के लिए कोटा प्रणाली को खत्म करने की मांग के साथ शुरू हुआ जो, अवामी लीग सरकार के खिलाफ पूर्ण पैमाने पर विद्रोह में बदल गया. इस दौरान सुरक्षा बलों के साथ झड़पों और उसके परिणामस्वरूप हुई मौतों ने हसीना के शासन के खिलाफ व्यापक आक्रोश को बढ़ावा दिया और छात्रों ने लोकप्रिय समर्थन की लहर पर सवार हो गए.
अंतरिम सरकार में अनुभव की कमी
देश की वर्तमान अंतरिम सरकार में अनुभव की कमी है. उससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि अंतरिम सरकार को चुनाव आयोजित करने में कितना समय लगेगा, इस पर भी चिंताएं व्याप्त हैं. प्रदर्शनकारियों के साथ छात्र मंत्रियों ने कहा है कि कोई भी मतदान होने से पहले, वे देश के संस्थानों में सुधार करना चाहते हैं. जिनके बारे में उनका कहना है कि अवामी लीग और उसके प्रतिद्वंद्वी, वंशवादी बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी दोनों ने जनता को गर्त में धकेल दिया.
अंतरिम सरकार पास क्या है अधिकार?
हालांकि, विशेषज्ञों ने चेतावनी दी है कि अंतरिम सरकार अनिर्वाचित है और ऐसे में उसके पास बड़े बदलावों को लागू करने का कोई अधिकार नहीं है. ढाका स्थित सेंटर फॉर गवर्नेंस स्टडीज के कार्यकारी निदेशक जिल्लुर रहमान ने कहा, नोबेल पुरस्कार विजेता मुहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली सरकार, जिसे छात्रों द्वारा चुना गया था, को "यह ध्यान में रखना चाहिए कि उनकी मुख्य जिम्मेदारी चुनाव कराना है...उन्हें कोई नीतिगत निर्णय नहीं लेना चाहिए." जिल्लुर रहमान ने कहा, यूनुस, एक अर्थशास्त्री और लंबे समय से हसीना के आलोचक रहे हैं. यूनुस गरीबों में से सबसे गरीब लोगों की मदद के लिए माइक्रोक्रेडिट के अग्रणी उपयोग के लिए विश्व स्तर पर जाने जाते हैं . लेकिन उन्होंने कभी सरकार भी नहीं चलाई. उन्होंने स्पष्ट कर दिया है कि छात्र इस तरह से महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे जैसा पहले कभी नहीं देखा गया. उन्होंने कहा "प्रत्येक मंत्रालय में एक छात्र होना चाहिए."