नई दिल्ली : बांग्लादेश में फिर से विरोध तेज हो गया है. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस बार राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से इस्तीफा मांगा है. उनका आरोप है कि राष्ट्रपति की वजह से शेख हसीना का त्याग पत्र मिसिंग है.
दरअसल, राष्ट्रपति ने यह बयान दिया है कि उनके पास शेख हसीना का कोई भी त्याग-पत्र नहीं है. जैसे ही यह खबर सामने आई छात्रों ने राष्ट्रपति भवन (गणभवन) को घेर लिया, उनके आवास के बाहर नारे लगाने लगे और उन्होंने राष्ट्रपति से तुरंत इस्तीफा देने को कहा.
राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने जनतर चौखट को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही. उन्होंने कहा कि उन्होंने यह सुना है कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन त्याग-पत्र का ऑन रिकॉर्ड एविडेंस अभी तक नहीं मिला है. राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत संभव हो कि उनके पास इतना अधिक समय नहीं था कि उन्होंने त्याग पत्र दिया हो.
शेख हसीना का कानूनी पक्ष मजबूत
मीडिया रिपोर्ट के अनुसारजब तक शेख हसीना का त्याग पत्र ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता है, तब तक उनका कानूनी पक्ष मजबूत बना रहेगा. बांग्लादेश के कानून की नजर में मुहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं.
तस्लीमा नसरीन ने दिया बड़ा बयान
बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा, "शेख हसीना ने प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया और वह अभी भी जीवित हैं. इसलिए, यूनुस सरकार अवैध है." तस्लीमा ने कहा कि बांग्लादेश में हर किसी ने झूठ बोला, सेना प्रमुख ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, राष्ट्रपति ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, यूनुस ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन किसी ने भी इस्तीफा पत्र नहीं देखा. उन्होंने कहा कि इस्तीफा पत्र तो भगवान की तरह है, हर कोई कहता है कि यह वहां है, लेकिन कोई दिखा नहीं सकता या साबित करें कि यह वहां है.
झूठ बोल रहे हैं राष्ट्रपति : कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार का बयान
बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल ने मीडिया में बयान दिया है कि राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने खुद विरोधाभासी बयान दिया है. उनका कहना है कि उनका पहला बयान मीडिया में उपलब्ध है, जिसमें उन्होंने कहा था कि शेख हसीना ने त्याग पत्र दे दिया है. शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त की रात को राष्ट्र के नाम एक टेलीविज़न संबोधन में कहा कि शेख हसीना ने त्याग पत्र दिया और उसके बाद वह संघर्षग्रस्त देश से भाग गईं. नजरूल ने कहा कि अगर राष्ट्रपति ने झूठ बोला है, तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. बांग्लादेश के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जा सकता है.
कौन हैं राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन