दिल्ली

delhi

ETV Bharat / international

बांग्लादेश में खेला होबे ! शेख हसीना का त्याग-पत्र गायब, राष्ट्रपति पर छात्रों का फूटा गुस्सा - SHEIKH HASINA RESIGNATION LETTER

क्या शेख हसीना फिर से बांग्लादेश की सत्ता में आएंगी, उनका त्याग पत्र मिसिंग है, पढ़ें पूरी जानकारी.

Sheikh Hasina
शेख हसीना (AFP)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Oct 23, 2024, 7:50 PM IST

Updated : Oct 23, 2024, 7:59 PM IST

नई दिल्ली : बांग्लादेश में फिर से विरोध तेज हो गया है. प्रदर्शन कर रहे छात्रों ने इस बार राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन से इस्तीफा मांगा है. उनका आरोप है कि राष्ट्रपति की वजह से शेख हसीना का त्याग पत्र मिसिंग है.

दरअसल, राष्ट्रपति ने यह बयान दिया है कि उनके पास शेख हसीना का कोई भी त्याग-पत्र नहीं है. जैसे ही यह खबर सामने आई छात्रों ने राष्ट्रपति भवन (गणभवन) को घेर लिया, उनके आवास के बाहर नारे लगाने लगे और उन्होंने राष्ट्रपति से तुरंत इस्तीफा देने को कहा.

राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने जनतर चौखट को दिए एक इंटरव्यू में यह बात कही. उन्होंने कहा कि उन्होंने यह सुना है कि शेख हसीना ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन त्याग-पत्र का ऑन रिकॉर्ड एविडेंस अभी तक नहीं मिला है. राष्ट्रपति ने कहा कि बहुत संभव हो कि उनके पास इतना अधिक समय नहीं था कि उन्होंने त्याग पत्र दिया हो.

बांग्लादेश सरकार के मुख्य सलाहकार मो. यूनुस (Dhaka Tribune.Com)

शेख हसीना का कानूनी पक्ष मजबूत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसारजब तक शेख हसीना का त्याग पत्र ऑन रिकॉर्ड उपलब्ध नहीं होता है, तब तक उनका कानूनी पक्ष मजबूत बना रहेगा. बांग्लादेश के कानून की नजर में मुहम्मद यूनुस की कार्यवाहक सरकार पर भी सवाल खड़े हो सकते हैं.

तस्लीमा नसरीन ने दिया बड़ा बयान

बांग्लादेश की मशहूर लेखिका तस्लीमा नसरीन ने कहा, "शेख हसीना ने प्रधान मंत्री पद से इस्तीफा नहीं दिया और वह अभी भी जीवित हैं. इसलिए, यूनुस सरकार अवैध है." तस्लीमा ने कहा कि बांग्लादेश में हर किसी ने झूठ बोला, सेना प्रमुख ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, राष्ट्रपति ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, यूनुस ने कहा कि हसीना ने इस्तीफा दे दिया, लेकिन किसी ने भी इस्तीफा पत्र नहीं देखा. उन्होंने कहा कि इस्तीफा पत्र तो भगवान की तरह है, हर कोई कहता है कि यह वहां है, लेकिन कोई दिखा नहीं सकता या साबित करें कि यह वहां है.

झूठ बोल रहे हैं राष्ट्रपति : कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार का बयान

बांग्लादेश में कार्यवाहक सरकार के कानूनी सलाहकार आसिफ नजरूल ने मीडिया में बयान दिया है कि राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन ने खुद विरोधाभासी बयान दिया है. उनका कहना है कि उनका पहला बयान मीडिया में उपलब्ध है, जिसमें उन्होंने कहा था कि शेख हसीना ने त्याग पत्र दे दिया है. शहाबुद्दीन ने 5 अगस्त की रात को राष्ट्र के नाम एक टेलीविज़न संबोधन में कहा कि शेख हसीना ने त्याग पत्र दिया और उसके बाद वह संघर्षग्रस्त देश से भाग गईं. नजरूल ने कहा कि अगर राष्ट्रपति ने झूठ बोला है, तो उन पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है. बांग्लादेश के संविधान के अनुसार राष्ट्रपति पर महाभियोग लगाया जा सकता है.

कौन हैं राष्ट्रपति मो. शहाबुद्दीन

शहाबुद्दीन अवामी लीग के छात्र संगठन से जुड़े रहे हैं. उन्होंने शेख हसीना के पिता शेख मजुबीर रहमान के हत्यारों पर मुकदमा चलाने के लिए मुकदमे में समन्वयक की भूमिका निभाई थी. वह छात्र लीग और जुबो लीग के सदस्य रह चुके हैं. दोनों लीग अवामी पार्टी की शाखा है. 2011 और 2016 के बीच, शहाबुद्दीन को बांग्लादेश के भ्रष्टाचार विरोधी आयोग के आयुक्त के रूप में नियुक्त किया गया था.

बांग्लादेश के राष्ट्रपति मोहम्मद शहाबुद्दीन (File Photo)

घटना पर बीएनपी ने कैसी दी प्रतिक्रिया, देखें

मात्र 45 मि. का समय शेख हसीना को दिया गया था

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पांच अगस्त को सेना ने शेख हसीना को मात्र 45 मि. का समय दिया था और उन्हें तुरंत देश छोड़ने को कहा. हसीना चाहती थीं कि देश छोड़ने से पहले उन्हें संबोधन का समय दिया जाए, लेकिन सेना ने इससे बिलकुल इनकार कर दिया. शेख हसीना अपनी छोटी बहन रेहाना के साथ भारत आ गईं थीं.

अमेरिका समर्थक मो. यूनुस को मिली कमान

पांच अगस्त को शेख हसीना भारत आ गई थीं. उस दिन यह भी खबर चली कि उन्होंने प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. बांग्लादेश में सेना ने मोर्चा संभाला और उसके बाद वहां पर एक अस्थायी सरकार बनाई गई है. इस सरकार के प्रमुख सलाहकार मो. यूनुस को बनाया गया है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक मो. यूनुस को अमेरिका का समर्थक माना जाता है.

छात्रों के प्रदर्शन की क्या थी वजह

शेख हसीना सरकार पर रिजर्वेशन को बढ़ावा देने का आरोप लगा था. उन्होंने एक ऐसा कानून बनाया था, जिसमें उन लोगों के परिवारों को सरकारी नौकरी और दाखिले में प्राथमिकता मिलने का प्रावधान था, जिन्होंने बांग्लादेश को पाकिस्तान से आजादी दिलाने में भूमिका निभाई थी.

प्रदर्शनकारी छात्रों का आरोप था कि इसके जरिए शेख हसीना ने अवामी लीग के कैडरों या फिर उनके परिजनों को सरकार में जगह दिलाने का इंतजाम कर लिया. हालांकि, वहां की सुप्रीम कोर्ट ने इस कानून को अवैध ठहरा दिया, इसके बावजूद वहां पर विरोध जारी रहा. लोगों ने शेख हसीना पर मनमानी और लोकतंत्र का गला घोंटने के भी आरोप लगाए. शेख हसीना के नेतृत्व वाली अवामी लीग 2009 से सत्ता में थी.

ये भी पढ़ें: "मैं बांग्लादेश जल्द लौटूंगी", शेख हसीना की कॉल लीक, मच गया हड़कंप!

Last Updated : Oct 23, 2024, 7:59 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details