नई दिल्ली :ब्रूनेई की यात्रा पूरी कर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी बुधवार 4 सितंबर को सिंगापुर पहुंचे. पीएम मोदी बुधवार और गुरुवार को सिंगापुर में रहेंगे. इस दौरान वह राष्ट्रपति थर्मन शनमुगरत्नम, प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग, वरिष्ठ मंत्री ली सीन लूंग और एमेरिटस वरिष्ठ मंत्री गोह चोक टोंग सहित कई वरिष्ठ नेताओं से मुलाकात करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी यहां प्रमुख वैश्विक कंपनियों के प्रमुखों और व्यापारियों से भी मिलेंगे.
पीएम मोदी की यह यात्रा दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंध स्थापित होने की 60वीं वर्षगांठ और रणनीतिक साझेदारी में प्रवेश करने के लगभग एक दशक पूरे होने के बाद हो रही है. वह भारत के साथ सहयोग के संभावित क्षेत्रों पर चर्चा करने के लिए सिंगापुर में व्यापारिक नेताओं से भी मिलेंगे. विदेश मंत्रालय के अनुसार, पीएम मोदी चर्चा में उन्नत विनिर्माण, डिजिटलीकरण और सतत विकास पर ध्यान केंद्रित कर सकते हैं.
पीएम मोदी की यात्रा के दौरान भारत और सिंगापुर कई समझौतों पर हस्ताक्षर करने वाले हैं, जिसमें सेमीकंडक्टर इकोसिस्टम बनाने पर एक अहम समझौता भी शामिल है. गौरतलब है कि सिंगापुर ने कई दशकों में वैश्विक सेमीकंडक्टर वैल्यू चेन में अपने लिए विशिष्ट स्थान बनाया है. सिंगापुर अपनी पोजीशन बनाए रखने के लिए हार्ड और सॉफ्ट दोनों तरह के इंफ्रास्ट्रक्चर में निवेश करना जारी रखा है. हालांकि, अमेरिका-चीन प्रतिद्वंद्विता और जोखिम कम करने पर बढ़ते ध्यान के कारण वैश्विक स्थिति में बदलाव के कारण भारत सहित प्रमुख अर्थव्यवस्थाएं अब खुद का सेमीकंडक्टर उद्योग स्थापित कर रही हैं. इसका सिंगापुर पर तत्काल प्रभाव नहीं पड़ सकता है, लेकिन सिंगापुर में उत्पादन की बढ़ती लागत और सीमित संसाधनों (भूमि और श्रम) के साथ, यह वैश्विक सेमीकंडक्टर उद्योग में सिंगापुर की वर्तमान स्थिति के लिए बड़ी चुनौती बन सकता है.
दोनों देशों के बीच राजनयिक संबंधों पर नजर
राजनयिक संबंध
भारत और सिंगापुर ने 15 अगस्त, 1965 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे, उसी दिन सिंगापुर को स्वतंत्रता मिली थी. औपचारिक राजनयिक संबंधों से पहले भी भारत और सिंगापुर के बीच, व्यापारिक केंद्र के रूप में सिंगापुर की स्थिति और उसके प्रवासी भारतीयों के कारण महत्वपूर्ण आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध थे. 1965 में मलेशिया से सिंगापुर की स्वतंत्रता के बाद, भारत सिंगापुर को एक संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में से एक था. इसने औपचारिक राजनयिक संबंधों की नींव रखी.
पिछले कुछ दशकों में व्यापार और निवेश के जरिये दोनों देशों के बीच संबंध मजबूत हुए हैं. भारत और सिंगापुर ने 2005 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौते (CECA) पर हस्ताक्षर किए थे, जिससे आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई. दोनों देश रक्षा और रणनीतिक सहयोग में भी आगे बढ़े हैं, जो क्षेत्रीय सुरक्षा और स्थिरता में उनके साझा हितों को दर्शाता है.