नई दिल्ली : विदेश मंत्री एस. जयशंकर एससीओ काउंसिल की 23वीं बैठक में भाग लेने के लिए इस्लामाबाद में हैं. उनकी यात्रा के दौरान देश में एक बार फिर भारत के साथ रिश्तों को बेहतर की करने की आवाज उठी है. पाकिस्तान पीपुल्स पार्टी के अध्यक्ष ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच एक आम सहमति पर पहुंचने की जरूरत पर जोर दिया, खास तौर पर जलवायु परिवर्तन और आतंकवाद के मुद्दे पर.
हाल के महीनों में कई बार पाकिस्तान की तरफ से भारत के साथ बेहतर रिश्ते कायम करने की बातें कही जाती रही हैं. इनमें जरदारी जैसे लोग भी शामिल हैं जिन्होंने दिसंबर 2023 में अपने विवादास्पद बयान से तनावपूर्ण चल रहे दोनों देशों के रिश्तों को और पेचीदा बना दिया था. आखिर क्या कारण है कि पाकिस्तान को अब रह रह कर भारत के साथ दोस्ती करने की जरूरत महसूस हो रही है.
पाकिस्तान के आर्थिक हालात बेहद नाजुक हैं. पाकिस्तीनी इकॉनोमी पूरी तरह से विदेशी मदद पर निर्भर है. देश पर भारी विदेशी कर्ज है और महंगाई से आम लोगों की कमर टूट गई है. ऐसे में भारत के साथ व्यापार शुरू करना पाकिस्तान के लिए बेहद जरूरी है.
फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद, भारत ने पड़ोसी देश के लिए अपना मोस्ट फेवर्ड स्टेटस रद्द कर दिया और पाकिस्तानी उत्पादों पर 200 प्रतिशत आयात शुल्क लगा दिया. यह पाकिस्तान के लिए बड़ा झटका था. भारत सरकार ने 5 अगस्त 2019 को जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 खत्म कर दिया था जिसके बाद, इस्लामाबाद ने व्यापार संबंधों को निलंबित कर दिया.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक इस्लामाबाद अपने रुख पर कायम नहीं रह सका. कीमतों में बढ़ोतरी और महत्वपूर्ण दवाओं की कमी के कारण उसने इंडियन मेडिसिन पर से प्रतिबंध हटा लिया. 2021 में पाकिस्तान के पूर्व पीएम इमरान खान सरकार ने भारत के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य करने की कोशिश की, लेकिन यह प्रयास कभी सफल नहीं हुआ.
पाकिस्तान के विदेश मंत्री इशाक डार ने इस साल मार्च में संकेत दिया कि इस्लामाबाद की नई दिल्ली के साथ व्यापार को फिर से शुरू करने की इच्छा है. डार ने कहा, "पाकिस्तान का व्यापारिक समुदाय प्रत्यक्ष व्यापार को फिर से शुरू करने के लिए बहुत उत्सुक है."
डार की पार्टी, पाकिस्तान मुस्लिम लीग-एन, का बड़ा सपोर्ट बेस छोटे पूंजीपतियों और बड़े उद्योगपतियों का रहा है. इन वर्गों ने हमेशा भारत के साथ व्यापार संबंधों को सामान्य बनाने में अपना और पाकिस्तान का फायदा देखा है.
गरीबी से जूझ रहे पाकिस्तान को इस वक्त हार्ड कैश की जरूरत है और भारत से दोस्ती इस मामले में उसकी परेशानियों का हल साबित हो सकती है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक विश्व बैंक ने 2018 में अनुमान लगाया था कि अगर भारत के साथ व्यापार अपनी क्षमता तक पहुंच जाता है, तो पाकिस्तान के निर्यात में 80% तक की वृद्धि हो सकती है.
भारत और पाकिस्तान साझा सांस्कृतिक विरासत साझा करते हैं लेकिन दोनों देशों के तनावपूर्ण संबंधों ने इसे गहरा धक्का पहुंचाया है. हालांकि सांस्कृतिक संबंधों में रुकावट पाकिस्तान के लिए खासी महंगी साबित हुई है. पाकिस्तानी एक्टर और एक्ट्रेस का भारतीय फिल्मों में काम करना लगभग खत्म हो चुका है.
इस्लामाबाद ने भी भारतीय फिल्मों और टेलीविजन शो पर प्रतिबंध लगाया. इसके अलावा, पाकिस्तान की शीर्ष अदालत ने भी फैसला सुनाया कि लोकल टेलीविजन पर कोई भी भारतीय कंटेंट प्रसारित नहीं किया जा सकता. लेकिन ये कदम पाकिस्तान को भारी पड़े.
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अधिकांश विश्लेषकों का मानना है कि इससे इस्लामाबाद को ही नुकसान हुआ है क्योंकि पाकिस्तानी फिल्म उद्योग का 70 प्रतिशत राजस्व भारतीय फिल्मों से अर्जित होता है. पाकिस्तान विदेश नीति के मोर्च पर भी जूझ रहा है. उसके संबंध इस समय अफगानिस्तान के साथ बेहद तनावपूर्ण है. कभी तालिबान को पूरा समर्थन देने वाला पाकिस्तान अब उस पर आतंकवादियों को पालने का आरोप लगा रहा है.
इस्लामाबाद लगातार कहता रहा है तालिबान सरकार अपनी जमीन पर टीटीपी जैसे आतंकी संगठनों को पनाह दे रही है जो पाकिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देते हैं. दूसरी तरफ काबुल इन आरोपों को खारिज करता रहा है. ईरान के साथ भी पाकिस्तान के सबंधों में पिछले दिनों दरार देखी गई. दोनों देशों के बीच सैनिक झड़पें भी हुईं. अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान पिछले कई वर्षों से अलग थलग रहा है ऐसे में भारत के साथ बेहतर रिश्ते बनाने के सिवा उसके पास और कोई चारा नहीं है.
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