नई दिल्ली: ब्रिटेन में राजनीतिक अस्थिरता के कारण वर्षों से रुका हुआ ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार वार्ता अंततः 2025 की शुरुआत में फिर से शुरू होने वाला है. यह घोषणा ब्रिटिश पीएम कीर स्टारमर ने ब्राजील में जी-20 शिखर सम्मेलन के मौके पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ अपनी द्विपक्षीय बैठक के बाद की.
पीएम स्टारमर ने स्पष्ट रूप से इस बात पर जोर दिया है कि ब्रिटेन एक नई रणनीतिक साझेदारी के साथ-साथ सुरक्षा, शिक्षा, प्रौद्योगिकी और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने की कोशिश कर रहा है.
अब ब्रिटेन सरकार भारत के साथ त्वरित एफटीए के लिए क्यों जोर दे रही है?
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को कई लोग व्यापार संबंधों में व्यापक रणनीतिक बदलाव के हिस्से के रूप में देखते हैं. इसमें चीन पर निर्भरता कम करने के प्रयास भी शामिल हैं. दोनों देशों का लक्ष्य आपूर्ति श्रृंखलाओं में विविधता लाना और आर्थिक संबंधों को बढ़ाना है. इससे विभिन्न क्षेत्रों में चीनी आयात पर उनकी निर्भरता कम करने में मदद मिल सकती है.
भारत-यूरोपीय संघ भारत-आसियान और भारत-थाईलैंड मुक्त व्यापार समझौते के लिए बहुपक्षीय व्यापार वार्ता के उरुग्वे दौर में भारत के लिए बातचीत करने वाले पूर्व राजनयिक अशोक सज्जनहार ने ईटीवी भारत को बताया कि भारत ब्रिटेन एफटीए को फिर से शुरू करना दोनों देशों के लिए पारस्परिक रूप से लाभकारी अवसर है.
उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कुछ चुनौतियां हैं जिनके कारण एफटीए की प्रगति में बाधित हुई लेकिन मुख्य मुद्दा ब्रिटेन की राजनीतिक प्रणाली में अस्थिरता है. पूर्व राजनयिक ने कहा, 'हाल ही में ब्रिटेन में कम समय में कई प्रधानमंत्री बदल गए. इससे अनिश्चितता पैदा हुई और वार्ता ठप हो गई. बोरिस जॉनसन, लिज ट्रस और ऋषि सुनक सभी ने भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौते (FTA) को अंतिम रूप देने का वादा किया. अब जब लेबर पार्टी सत्ता में आ गई है, तो सरकार में अधिक स्थिरता की उम्मीद है. ये वार्ता को आगे बढ़ाने में मदद कर सकती है.'
उन्होंने कहा,'ब्रिटेन के लिए भारत के साथ व्यापार समझौता महत्वपूर्ण है, खासकर यूरोपीय संघ से बाहर निकलने के बाद. 2016 में जनमत संग्रह और 2020 में आधिकारिक रूप से अलग होने के बाद से ब्रिटेन ने भारत के साथ संबंधों को मजबूत करने का लक्ष्य रखा है. ये दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है और मजबूत आर्थिक विकास के साथ जल्द ही तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने वाली है.'
अशोक सज्जनहार ने कहा, 'यह साझेदारी भारत के लिए भी मूल्यवान है. ब्रिटेन ने यूरोपीय बाजार के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में काम किया है. कई भारतीय कंपनियों की ब्रिटेन में मजबूत उपस्थिति है. खासकर विनिर्माण और सेवाओं के क्षेत्र में. एक व्यापार समझौते से दोनों देशों और उनके व्यवसायों को लाभ होगा. लेबर लीडर स्टारमर ने सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में से एक के साथ व्यापार समझौते के महत्व पर प्रकाश डाला है. मुझे विश्वास है कि हम जल्द ही एक सकारात्मक समाधान पर पहुंच सकते हैं.'
उन्होंने कहा, 'चीन के साथ ब्रिटेन के संबंध लगातार तनावपूर्ण होते जा रहे हैं क्योंकि वे अब इसे एक व्यवस्थित प्रतिद्वंद्वी के रूप में देखते हैं. एक समय चीन के साथ एक मजबूत आर्थिक साझेदारी बनाए रखने की तीव्र इच्छा थी, जबकि इसे सुरक्षा चिंताओं से अलग रखा गया था. हालांकि, यह दृष्टिकोण आवश्यक गति से आगे नहीं बढ़ रहा है.
कई यूरोपीय देशों की तरह ब्रिटेन भी चीन को एक खतरा मानता है और वैकल्पिक साझेदारी की तलाश कर रहा है. भारत सबसे व्यवहार्य विकल्प के रूप में सामने आता है, खासकर जैसा कि प्रधानमंत्री स्टारमर ने कहा, यह देखते हुए कि यह सबसे तेजी से बढ़ने वाली प्रमुख अर्थव्यवस्था है. साथ ही वर्तमान में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है जो जल्द ही दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएगी.'
जब उनसे पूछा गया कि क्या दांव पर लगा है और आगे क्या चुनौतियां हैं, तो सज्जनहार ने बताया कि ऑटोमोटिव पार्ट्स, फार्मास्यूटिकल्स, डिजिटल पब्लिक इंफ्रास्ट्रक्चर और क्वांटम कंप्यूटिंग और एआई जैसी तकनीकों जैसे क्षेत्रों में दोनों देशों के बीच सहयोग की महत्वपूर्ण संभावनाएं हैं.
भारत का लक्ष्य सेमीकंडक्टर विनिर्माण का केंद्र बनना है, जहां दोनों देश अपनी ताकत को जोड़ सकते हैं. हालांकि इसके लिए चुनौतियां हैं. ब्रिटेन में मादक पेय पदार्थों पर हाई टैक्स है, जिसे भारत को विलासिता की वस्तुओं पर विदेशी मुद्रा खर्च करते समय विचार करना चाहिए. इसके अतिरिक्त, भारत के कुशल पेशेवरों को सख्त आव्रजन नीतियों के कारण ब्रिटेन की यात्रा करने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. प्रभावी सहयोग के लिए इन मुद्दों को संबोधित करना आवश्यक है.
भारत-ब्रिटेन एफटीए का रणनीतिक महत्व
ब्रिटिश प्रधानमंत्री कीर स्टारमर ने आर्थिक विकास के लिए यूके के व्यापार संबंधों के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने कहा, 'आर्थिक विकास को बढ़ावा देना कामकाजी लोगों के जीवन स्तर को बेहतर बनाने की कुंजी है. भारत के साथ एक नया व्यापार समझौता ब्रिटेन में नौकरियों और समृद्धि का समर्थन करेगा. भारत, पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था, एक महत्वपूर्ण भागीदार है.
प्रस्तावित सौदे का उद्देश्य नौकरियों का सृजन करना, निवेश आकर्षित करना और दोनों देशों के लिए बाजार पहुंच को बढ़ाना है. द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत के पीएम मोदी ने ब्रिटेन में भारत से आर्थिक अपराधियों के मुद्दे को संबोधित करने के महत्व पर ध्यान दिया. दोनों नेताओं ने प्रवासन और गतिशीलता से संबंधित मुद्दों पर प्रगति करने की आवश्यकता पर भी सहमति व्यक्त की.
भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौते (FTA) पर बातचीत 2021 की शुरुआत में शुरू हुई थी. मई 2021 में दोनों देशों ने यूरोपीय संघ (ब्रेक्सिट) से ब्रिटेन के बाहर निकलने और ईयू से बाहर के देशों के साथ नए व्यापार सौदे स्थापित करने के उद्देश्य के बाद, एफटीए की दिशा में औपचारिक बातचीत शुरू करने पर सहमति व्यक्त की. इन वार्ताओं को भारत और ब्रिटेन के बीच द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को गहरा करने के प्रयास के रूप में देखा गया. इसमें वस्तुओं और सेवाओं में व्यापार, निवेश, प्रौद्योगिकी और हरित ऊर्जा जैसे क्षेत्रों में सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया गया.
ब्रिटेन-भारत मुक्त व्यापार समझौता के लाभ
नया मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) व्यवसायों के लिए बाजार का दायर बढ़ाएगा. ब्रिटिश कंपनियां चाहती हैं कि भारत स्कॉच, व्हिस्की, इलेक्ट्रिक वाहन, भेड़ का मांस और मिठाई जैसे निर्यात पर टैरिफ कम करे. इस बीच, भारत दूरसंचार और वित्त सहित ब्रिटेन के सेवा क्षेत्रों में बेहतर जगह बनाना चाहता है. जैसा कि ब्रिटेन के व्यापार सचिव जोनाथन रेनॉल्ड्स ने सही कहा कि भारत ब्रिटेन के लिए एक महत्वपूर्ण व्यापारिक भागीदार है. उन्होंने पहले कहा, 'हमारा मानना है कि यहां बहुत कुछ किया जाना बाकी है जो दोनों देशों के लिए काम करता है.'