दावोस: विश्व आर्थिक मंच की वार्षिक बैठक 2025 में आंध्र प्रदेश के आईटी और इलेक्ट्रॉनिक्स मंत्री नारा लोकेश ने एच-1बी वीजा नीति और भारत पर इसके पड़ने वाले असर पर अपने विचार शेयर किए.
डोनाल्ड ट्रंप के प्रशासन के तहत अमेरिकी इमिग्रेशन पॉलिसी के संभावित प्रभाव के बारे में चिंताओं को संबोधित करते हुए लोकेश ने एएनआई के साथ एक विशेष बातचीत में कहा, 'मुझे लगता है कि यह स्पष्ट है कि एच-1बी नीति में बदलाव नहीं किया जाएगा. हालांकि चुनाव पूर्व कुछ बयानबाजी हुई थी. लेकिन चुनाव के बाद मुझे लगता है कि चीजें बदल गई हैं. इस पर थोड़ी अधिक शांति है. हमें इंतजार करना होगा और देखना होगा.'
एच-1बी वीजा एक गैर-आप्रवासी वीजा है जो अमेरिकी कंपनियों को टेक्नोलॉजी, इंजीनियरिंग और वित्त जैसे विशेष क्षेत्रों में कुशल विदेशी कर्मचारियों को नियुक्त करने की अनुमति देता है. अमेरिका में रोजगार के अवसर तलाशने वाले भारतीय आईटी पेशेवरों द्वारा इसका व्यापक रूप से उपयोग किया जाता है.
लोकेश ने इस बात पर भी जोर दिया कि वैश्विक अनिश्चितताओं के बावजूद, आंध्र प्रदेश आईटी विकास को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है. एक राज्य के रूप में हम अपने देश में अवसर प्रदान कर रहे हैं. कई वैश्विक क्षमता केंद्र (जीसीसी) हमारी आईटी राजधानी विशाखापत्तनम में निवेश की घोषणा करने की योजना बना रहे हैं. अगले दो वर्षों में हमारा लक्ष्य आंध्र प्रदेश को एक अग्रणी आईटी गंतव्य के रूप में स्थापित करना है.'