ढाका: बांग्लादेश के सुप्रीम कोर्ट ने रविवार को सरकारी नौकरी के आवेदकों के लिए विवादास्पद कोटा प्रणाली को वापस ले लिया, जिससे देश भर में कई दिनों तक चली हिंसा और पुलिस के साथ झड़पों के बाद प्रदर्शनकारी छात्रों को आंशिक जीत मिल गई है.
यह फैसला उस कोटे को लेकर हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद आया है, जिसमें बांग्लादेश के 1971 के स्वतंत्रता संग्राम के दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए सरकारी नौकरियों में बड़ा हिस्सा आरक्षित किया गया था. इस कोटे के कारण छात्रों में असंतोष पैदा हो गया. उनका तर्क था कि यह सिस्टम भेदभावपूर्ण है और प्रधानमंत्री शेख हसीना की सत्तारूढ़ अवामी लीग पार्टी के समर्थकों को लाभ पहुंचाता है.
जून में लागू हुआ था कोटा
सरकार ने इससे पहले 2018 में बड़े पैमाने पर छात्र विरोध प्रदर्शनों के बाद कोटा को सस्पेंड कर दिया था, लेकिन जून में हाई कोर्ट ने इसे फिर से लागू कर दिया, जिससे तनाव फिर से भड़क गया और विरोध प्रदर्शनों का एक नया दौर शुरू हो गया.
सुप्रीम कोर्ट के फैसले ने दिग्गजों के रिश्तेदारों के लिए कोटा 30 प्रतिशत से घटाकर 5 फीसदी कर दिया, अब 93 प्रतिशत पद योग्यता के आधार पर भरे जाएंगे. शेष 2 पर्सेंट जातीय अल्पसंख्यकों, ट्रांसजेंडर और विकलांग लोगों को आवंटित किए जाएंगे.
हिंसा के चलते विश्वविद्यालय बंद
बता दें कि शेख हसीना के कार्यकाल के दौरान सबसे खराब माने जाने वाले इस प्रदर्शन में विश्वविद्यालय बंद हो गए और पूरे देश में इंटरनेट बंद कर दिया गया, जबकि सरकार ने लोगों को घर पर रहने का आदेश दिया. इस बीच विरोध प्रदर्शन हिंसक झड़पों में बदल गया, जिसमें पुलिस ने पत्थर फेंकने वाले प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस, रबर की गोलियां और धुएं के ग्रेनेड का इस्तेमाल किया.