नई दिल्ली: खुफिया एजेंसियों को लगता है कि शेख हसीना को देश से भागने पर मजबूर करने वाले विरोध और तोड़फोड़ को बढ़ाने में पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई और उसके चीनी संरक्षक का हाथ है. एक अंग्रेजी अखबार ने सूत्रों के हवाले से लिखा कि बांग्लादेश में हुए छात्र आंदोलन को संगठित और आक्रमक रूप देने में कट्टरपंथी जमात-ए-इस्लामी बांग्लादेश की छात्र शाखा इस्लामी छात्र शिविर (आईसीएस) का हाथ है. बता दें कि बांग्लादेश की कट्टरपंथी पार्टी जमात-ए-इस्लामी भारत विरोधी रुख के लिए जानी जाती है.
भारतीय खुफिया विभाग की इनपुट के अनुसार, जमात-ए-इस्लामी की छात्र शाखा आईसीएस ने ही लोगों को भड़काया. नई आरक्षण नीति के विरोध के नाम पर उन्होंने शेख हसीना की सरकार को गिराने का काम किया. उनका मुख्य उद्देश्य बांग्लादेश में ऐसी सरकार का गठन करना है जो पाकिस्तान और चीन के लिए काम करे.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पाकिस्तान और चीन दोनों ही बांग्लादेश को भारत के खिलाफ आतंक के नये पनाहगाह के रूप में इस्तेमाल करना चाहते हैं. अखबार की रिपोर्ट के मुताबिक, खुफिया जानकारी से पता चलता है कि आईसीएस सदस्यों ने कई महीने की तैयारी के बाद पूरे देश में हिंसा भड़काई. जानकारी के मुताबिक इस आंदोलन को जारी रखने और भड़काने के लिए जमात-ए-इस्लामी को चीन और पाकिस्तान से फंड भी मिले. रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह फंडिंग इस साल की शुरुआत में, यानी चुनावों से पहले ही, बांग्लादेश पहुंच गई थी. सूत्र बताते हैं कि इस फंडिंग का एक बड़ा हिस्सा पाकिस्तान में सक्रिय चीनी संस्थाओं से आया.
हालांकि हसीना ने चीन को खुश रखने की कोशिश की, लेकिन वह भारत के हितों के प्रति भी संवेदनशील थीं. जो चीन को पसंद नहीं था. दिलचस्प बात यह है कि इस्लामी छात्र संगठन के कई प्रमुख नेता लोकतंत्र और अधिकारों की शब्दावली का इस्तेमाल करके पश्चिमी-संबद्ध एनजीओ को लुभाने में कामयाब रहे.