तेल अवीव : इजरायल पर हमास के अचानक हमले के सात महीने बाद गाजा पट्टी में जारी इजरायल की जवाबी कार्रवाई के बीच दुनिया में यहूदी-विरोधी भावना दूसरे विश्व युद्ध के बाद के चरम स्तर पर पहुंच गई है. रविवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है.
तेल अवीव यूनिवर्सिटी और अमेरिका के एंटी डिफेमेशन लीग (एडीएल) के एक संयुक्त अध्ययन में कहा गया है कि यदि यह प्रवृति जारी रही तो कई देशों में यहूदी सुरक्षा और स्वतंत्रता के साथ अपनी पहचान के साथ नहीं जी पायेंगे.
उदाहरण के लिए, पिछले साल अमेरिका में यहूदियों के प्रार्थना स्थलों और संस्थानों को रोजाना औसतन तीन बम की धमकियां मिलीं. प्रोफेसर उरिया शैविट ने कहा, "यह साल 1938 जैसा नहीं है, न ही यह 1933 जैसा है. लेकिन यदि यही प्रवृति जारी रही तो पश्चिमी देशों में यहूदियों का अपनी जिंदगी जीना - यानि डेविड स्टार लगाना, यहूदी प्रार्थना घरों और सामुदायिक केंद्रों में जाना, बच्चों को यहूदी स्कूलों में भेजना, परिसर में यहूदी क्लबों में जाना या हिब्रू बोलना - असंभव हो जायेगा."