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अमेरिका राष्ट्रपति चुनाव: अक्षरधाम मंदिर है प्रवासी भारतीयों की ताकत का प्रतीक - US PRESIDENTIAL ELECTION 2024

US Presidential Election 2024, अमेरिका में न्यू जर्सी के रॉबिंसविले का अक्षरधाम मंदिर भारतीयों की बढ़ती अहमियत का प्रतीक बनकर उभरा है.

Akshardham temple is a symbol of the strength of the Indian diaspora
अक्षरधाम मंदिर है प्रवासी भारतीयों की ताकत का प्रतीक (PTI Video)

By ETV Bharat Hindi Team

Published : Nov 4, 2024, 4:46 PM IST

न्यूयार्क : अमेरिका में न्यू जर्सी के रॉबिंसविले के अक्षरधाम मंदिर में इन दिनों काफी रौनक है. दिवाली के हफ्ते में यहां श्रद्धालुओं की भारी भीड़ उमड़ रही है. ये मंदिर अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की बढ़ती अहमियत का प्रतीक बनकर उभरा है. मंदिर भारतीयों का बढ़ता आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनैतिक दबदबा दिखलाता है.

इस बारे में श्रद्धालु चैताली ने कहा कि यहां हम सभी के लिए जश्न मनाना खुशी का मौका है. हमने धनतेरस के दिन शुरुआत की थी. हमने आशीर्वाद के लिए बही-खातों पर शारदा पूजन किया. हम जो काम कर रहे हैं, उसके लिए आशीर्वाद चाहते हैं. इसलिए हमने शारदा पूजा में हिस्सा लिया.

अक्षरधाम मंदिर है प्रवासी भारतीयों की ताकत का प्रतीक (PTI Video)

उन्होंने कहा कि हमने अन्नकूट पूजा भी की. ये खाने के पहाड़ जैसा है. इसे आज सुबह दिखाया गया था. खाने की तैयारी फिर उसे इकट्ठा करने की कोशिश पूरे हफ्ते की गई.

इसी प्रकार स्वयंसेवक महिमा ने कहा कि मैं हाई स्कूल के समय से बीएपीएस में सेल्फ सर्विस कर रही हूं. मैं बचपन से ही बीएपीएस सांस्कृतिक केंद्रों में भाग लेती रही हूं. जब मैं बच्ची थी तो क्लास में भारतीय संस्कृति का इतिहास और डांस सीखती थी. उन्होंने कहा कि सबसे पहले मैंने मंदिर जाना शुरू किया. अक्षरधाम में, आप भरतनाट्यम की तस्वीर भी देख सकते हैं, जो भारतीय शास्त्रीय नृत्य है. मुझे ये नृत्य सीखते हुए करीब 13 साल हो गए हैं. मैंने इसी मंदिर में डांस सीखने की शुरुआत की थी.

वहीं मंदिर बनवाने और उसके रखरखाव में प्रवासी भारतीयों ने अहम भूमिका निभाई है. इसके पीछे मकसद है कि युवा पीढ़ी अपनी संस्कृति और जड़ों से जुड़े. वहीं श्रद्धालु विनोद ने कहा कि बीएपीएस मंदिर 1974 में न्यूयॉर्क के फ्लशिंग में बनाया गया था. यहां प्रमुख स्वामी महाराज थे. उस समय समारोह कम होते थे, लेकिन उन्होंने हमारे अंदर हिंदू मूल्यों और हिंदू परंपराओं को स्थापित किया और हमें उनके मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित किया.

श्रद्धालु उषा पटेल ने कहा कि कुछ साल पहले उन्होंने बच्चों के लिए दिवाली पार्टियां शुरू कीं. बच्चों को ये पसंद आया. उन्हें हिंदुओं के लिए दिवाली की अहमियत के बारे में पता चला. बड़े होने के साथ उन्होंने दिवाली समारोहों में अपनी भागीदारी बढ़ा दी. अब वही सब कुछ संभाल रहे हैं. बड़े होने के साथ उन्हें पता चल रहा है कि क्या करने की जरूरत है.

बता दें कि 220 एकड़ में फैला मंदिर न सिर्फ धार्मिक, बल्कि कई प्रवासी भारतीय युवाओं के आकर्षण का भी केंद्र है. वे सामुदायिक गतिविधियों में नियमित हिस्सा लेते हैं. इसी प्रकार स्वयंसेवक वेद पटेल ने कहा कि नए लोगों से मिलना काफी अच्छा लगता है. मैंने नए लोगों से जुड़ना और इस माहौल में खुद को आगे बढ़ाना शुरू कर दिया.

इस सवाल पर कि स्वयंसेवक के रूप में, आप क्या करते हैं?, इस पर उनका कहना था कि मैं यहां लोगों की तस्वीरें लेता हूं. मैं ऑडियो-विजुअल मशीनों के साथ काम करता हूं और साप्ताहिक सभाओं में युवाओं को पढ़ाता भी हूं. इसी प्रकार स्वयंसेवक अरव का कहना था कि मैंने यहां कई आयोजनों के लिए स्क्रिप्ट लिखा है. मैं युवा पीढ़ी को संगठन के बारे में बताता हूं.

इसी क्रम में स्वयंसेवक शिवानी पटेल ने कहा कि मैं यहां अपनी मर्जी से काम करती हूं. पिछले 10 से 15 साल से. मैं बचपन से मंदिर में आ रही हूं. इस प्रश्न पर कि स्वयंसेवक के रूप में आप यहां क्या करती हैं?, शिवानी ने कहा कि मुझे यहां के युवाओं को नेतृत्व देने का सौभाग्य मिला है. हाई स्कूल और कॉलेज में पढ़ने वाली सभी लड़कियों के लिए हमारे यहां साप्ताहिक सभा या असेंबली होती है. मुझे मंदिर के लिए ये काम करने का सौभाग्य मिला है.

अक्षरधाम मंदिर अमेरिका में प्रवासी भारतीयों की बढ़ती अहमियत दिखलाता है. जैसे-जैसे व्हाइट हाउस की दौड़ खत्म होने पर आ रही है, डेमोक्रेट और रिपब्लिकन- दोनों भारतीय समुदाय का समर्थन पाने की कोशिशें तेज कर रहे हैं.

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