डायबिटीज एक मेटाबॉलिक डिसॉर्डर है जो हाई ब्लड शुगर का कारण बनता है. इस बीमारी में आपका शरीर या तो पर्याप्त इंसुलिन नहीं बनाता है या अपने द्वारा बनाए गए इंसुलिन का प्रभावी ढंग से उपयोग नहीं कर पाता है. मधुमेह की बीमारी को डायबिटीज और शुगर भी कहा जाता है. ये बीमारी अनुवांशिक भी होती है और खराब जीवनशैली के कारण भी होती है. साफ शब्दों में कहा जाए तो डायबिटीज एक ऐसी स्थिति है जिसमें आपके ब्लड शुगर की मात्रा बहुत ज्यादा हो जाती है. यह आपकी रक्त वाहिकाओं को नुकसान पहुंचा सकता है. इससे हृदय और रक्त संचार संबंधी बीमारियों के विकसित होने का खतरा बढ़ जाता है.
किस विटामिन की कमी से डायबिटीज होता है
विटामिन डी, सी और विटामिन बी12 की कमी से डायबिटीज हो सकता है. विटामिन डी की कमी से इंसुलिन का स्राव कम हो जाता है और इंसुलिन की संवेदनशीलता कम हो जाती है. इससे ब्लड में ग्लूकोज का लेवल बढ़ सकता है. विटामिन डी की कमी से पैंक्रियाज सही से काम नहीं कर पाता, जिससे शरीर में इंसुलिन बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है. बता दें, विटामिन डी की कमी से टाइप 1 और टाइप 2 दोनों तरह की डायबिटीज हो सकती है.
नेशनल लाइब्रेरी ऑफ मेडिसिन के अनुसार, विटामिन बी12 की कमी से भी डायबिटीज हो सकता है
मेटफॉर्मिन, जो टाइप 2 डायबिटीज की एक आम दवा है, इससे विटामिन बी12 की कमी हो सकती है. टाइप 2 डायबिटीज में मेटफॉर्मिन थेरेपी B12 की कमी से जुड़ी होती है, जिसके परिणामस्वरूप B12 की कमी होने का 10 फीसदी ज्यादा रिस्क होता है. मेटफॉर्मिन का उपयोग और B12 की कमी का खतरा खुराक और अवधि के साथ बढ़ता है. कमी शुरू होने के 3-4 महीने बाद ही देखी जा सकती है, इसलिए रैंडम ब्लड टेस्ट के लिए जाना और अपने डॉक्टर से बात करना महत्वपूर्ण है .
मेटफोर्मिन और विटामिन बी12 की कमी
विटामिन बी12 का कम अवशोषण मेटफॉर्मिन के लॉन्ग टर्म यूज का एक साइड इफेक्ट है. कुछ अध्ययनों से पता चला है कि मेटफॉर्मिन टाइप 2 डायबिटीज वाले 30 फीसदी लोगों में विटामिन बी12 के अवशोषण को कम कर सकता है.
मेटफॉर्मिन से संबंधित विटामिन बी12 की कमी तब होती है जब मेटफॉर्मिन विटामिन बी12-आंतरिक कारक कॉम्प्लेक्स में हस्तक्षेप करके विटामिन बी12 के अवशोषण को कम करता है. हमारी छोटी आंतों में रिसेप्टर्स जो बी12-आईएफ कॉम्प्लेक्स को अवशोषित कर सकते हैं, उन्हें प्रक्रिया को पूरा करने के लिए कैल्शियम की भी आवश्यकता होती है. इसे कैल्शियम-निर्भर होना कहा जाता है. मेटफॉर्मिन कैल्शियम-निर्भर प्रक्रियाओं को प्रभावित करने के लिए जाना जाता है. जिससे बी12-आईएफ कॉम्प्लेक्स को अवशोषित होने में समस्या हो सकती है.
टाइप 1 डायबिटीज
टाइप 1 डायबिटीज वाले लोगों में सीलिएक रोग या थायरॉयड समस्याओं जैसे अन्य ऑटोइम्यून कॉम्प्लिकेशन का रिस्क ज्यादा होता है. उन्हें घातक एनीमिया होने का भी खतरा ज्यादा होता है, एक ऐसी स्थिति जिसमें आंत में विटामिन बी12 के वाहक, आंतरिक कारक के खिलाफ एंटीबॉडी का उत्पादन होता है. इससे बी12 की कमी की संभावना बढ़ जाती है क्योंकि विटामिन बी12 आंत से गुजरते समय सुरक्षित नहीं रहता है.