हैदराबादः हर साल अगस्त के पहले सप्ताह में विश्व स्तनपान सप्ताह मनाया जाता है. WHO, UNICEF, भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय, नागरिक व सामाजिक संगठनों की ओर से इस सप्ताह को समर्थन दिया जाता है. 2024 का थीम है 'अंतर को कम करना: सभी के लिए स्तनपान सहायता' तय किया गया है. यह अभियान स्तनपान कराने वाली माताओं को उनकी विविधता में, उनके स्तनपान के सफर के दौरान मनाएगा. साथ ही यह सप्ताह दिखाएगा कि किस तरह परिवार, समाज, समुदाय और स्वास्थ्य कार्यकर्ता हर स्तनपान कराने वाली मां का साथ दे सकते हैं.
जन्म के तुरंत बाद एक घंटे के भीतर नवजात को स्तनपान कराया जाना चाहिए. जीवन के पहले छह महीनों तक केवल स्तनपान कराया जाना चाहिए. 6 महीने की उम्र के बाद पोषण-पर्याप्त और सुरक्षित पूरक (ठोस) खाद्य पदार्थों की शुरूआत के साथ-साथ 2 वर्ष की आयु या उससे आगे तक स्तनपान जारी रखना. डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ ऐसी वैश्विक स्वास्थ्य संगठनों का मानना है कि स्तनपान के मामलों में इन मानकों का पालन किया जाता है भविष्य में बच्चे का स्वस्थ होगा. मोटापे का शिकार होने की संभावना कम होगी. साथ ही रोगों से लड़ने की उनकी क्षमता काफी यानि प्रतिरोधक क्षमता काफी बेहतर होगा.
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमानों के अनुसार कुपोषण के कारण हर साल 27 लाख (2.7 मिलियन) बच्चों की मृत्यु होती है, जो कुल बाल मृत्यु का 45 फीसदी है. शिशु और छोटे बच्चों को भोजन देना, बच्चों की उत्तरजीविता को बेहतर बनाने और स्वस्थ वृद्धि और विकास को बढ़ावा देने का एक महत्वपूर्ण क्षेत्र है.
बच्चे के जीवन के पहले 2 वर्ष विशेष रूप से महत्वपूर्ण होते हैं, क्योंकि यह अवधि पोषण के लिए सर्वश्रेष्ट होता है और मृत्यु दर को कम करता है. पुरानी बीमारी के जोखिम को कम करता है. और समग्र रूप से बेहतर विकास को बढ़ावा देता है. इष्टतम स्तनपान इतना महत्वपूर्ण है कि यह हर साल 5 वर्ष से कम आयु के 820000 से अधिक बच्चों की जान बचा सकता है.
स्तनपान के फायदे
- 450 लाख (45 मिलियन) बच्चे कमजोर (ऊंचाई के हिसाब से बहुत पतले) होने का अनुमान है और 370 लाख (37 मिलियन) बच्चे अधिक वजन वाले या मोटे हैं.
- 0-6 महीने की आयु के लगभग 44 फीसदी शिशुओं को केवल स्तनपान कराया जाता है.
- बहुत कम बच्चों को पोषण संबंधी पर्याप्त और सुरक्षित पूरक आहार मिलता है.
- कई देशों में 6-23 महीने की आयु के एक चौथाई से भी कम शिशु आहार विविधता और भोजन आवृत्ति के मानदंडों को पूरा करते हैं जो उनकी आयु के लिए उपयुक्त हैं.
- यदि 0-23 महीने की आयु के सभी बच्चों को बेहतर तरीके से स्तनपान कराया जाए, तो 5 वर्ष से कम आयु के बच्चों में हर साल 820000 से अधिक बच्चों की जान बचाई जा सकती है.
- विश्व स्वास्थ्य संगठन की ओर से 20 दिसंबर 2023 को जारी डेटा के अनुसार 45 फीसदी बाल मृत्यु का कारण कुपोषण है.
- वैश्विक स्तर पर 2022 में 5 वर्ष से कम आयु के 149 मिलियन बच्चे बौने (उम्र के हिसाब से बहुत छोटे) पैदा हो हुए हैं.
- स्तनपान से IQ, स्कूल में उपस्थिति में सुधार होता है और वयस्क जीवन में उच्च आय से जुड़ा होता है.
- स्तनपान के माध्यम से बाल विकास में सुधार और स्वास्थ्य लागत में कमी से व्यक्तिगत परिवारों के साथ-साथ राष्ट्रीय स्तर पर भी आर्थिक लाभ होता है.
डब्ल्यूएचओ और यूनिसेफ अनुशंसा करते हैं:
- जन्म के 1 घंटे के भीतर स्तनपान की शुरुआत;
- जीवन के पहले 6 महीनों के लिए केवल स्तनपान;
- और 6 महीने की उम्र में पोषण-पर्याप्त और सुरक्षित पूरक (ठोस) खाद्य पदार्थों की शुरूआत के साथ-साथ 2 वर्ष की आयु या उससे आगे तक स्तनपान जारी रखना.
- कई शिशुओं और बच्चों को इष्टतम भोजन (Optimum Eating) नहीं मिल पाता है. उदाहरण के लिए, 2015-2020 की अवधि में दुनिया भर में 0-6 महीने की आयु के केवल 44 फीसदी शिशुओं को ही विशेष रूप से स्तनपान कराया गया था.
- एचआईवी संक्रमित माताओं से पैदा हुए शिशुओं की जरूरतों को पूरा करने के लिए भी सिफारिशों को परिष्कृत किया गया है. एंटीरेट्रोवायरल दवाएं अब इन बच्चों को 6 महीने की उम्र तक विशेष रूप से स्तनपान कराने और कम से कम 12 महीने की उम्र तक स्तनपान जारी रखने की अनुमति देती हैं, जिससे एचआईवी संक्रमण का जोखिम काफी कम हो जाता है.
शिशुओं के लिए पूरक आहार