नई दिल्ली: फैटी लीवर एक ऐसी स्थिति है जहां लीवर में अतिरिक्त वसा जमा हो जाती है, जिससे उसका आकार बढ़ जाता है. शास्त्रीय हठ योग शिक्षक और आहार एवं जीवन शैली विशेषज्ञ श्लोका जोशी के अनुसार, फैटी लीवर दो प्रकार के होते हैं. नॉन-अल्कोहलिक फैटी लीवर उन लोगों में होता है जो शराब नहीं पीते या बहुत कम पीते हैं. यह आमतौर पर मोटापे, मधुमेह या किसी दवा के कारण होने वाले लोगों में होता है. एल्कोहलिक फैटी लीवर अत्यधिक शराब के सेवन के कारण होता है, जहां लीवर पोषक तत्वों को संसाधित करने और वसा को चयापचय ( metabolize ) करने में असमर्थ होता है. इससे लीवर में घाव हो जाता है, जिससे फाइब्रोसिस/सिरोसिस हो जाता है, एक ऐसी स्थिति जहां लीवर निष्क्रिय हो जाता है.
फैटी लीवर के लक्षण : जोशी बताते हैं कि "शुरुआत में, किसी को थकान महसूस हो सकती है या अक्सर भोजन के बाद ऊपरी पेट के दाहिने हिस्से में असुविधा या दर्द का अनुभव हो सकता है. उन्नत चरणों में, व्यक्ति को ऊपरी पेट में गंभीर कोमलता, भूख न लगना, मतली, कमजोरी, वजन कम होने का अनुभव हो सकता है. पेट में फैलाव (जलोदर), हल्के रंग का मल, मांसपेशियों की बर्बादी और पैरों में सूजन,''
फैटी लीवर के कारण
बहुत अधिक शराब का सेवन (एक पुरुष जो प्रति सप्ताह 15 या अधिक पेय पीता ( 15 or more drinks per week ) है और जो महिलाएं 8 से अधिक शराब ( 8 or more drinks per week ) पीती हैं, उन्हें निश्चित रूप से फैटी लीवर- 10-15 वर्षों में लीवर की विफलता) हो सकती है.
- मोटापा : Obesity
- इंसुलिन प्रतिरोध : Insulin resistance
- डायबिटीज टाइप 2: Type 2 diabetes
- चयापचयी लक्षण : Metabolic syndrome
- उच्च कोलेस्ट्रॉल स्तर (बढ़ा हुआ ट्राइग्लिसराइड्स)
- दवा के दुष्प्रभाव
- गर्भावस्था
- आनुवंशिक विकार
- हेपेटाइटिस सी जैसे संक्रमण
जोशी ने फैटी लीवर को खत्म करने के लिए पांच खाद्य पदार्थ साझा किए हैं
पपीता : खाली पेट एक कटोरी पपीता का सेवन करें, पपीते में मौजूद एंजाइम लिवर की सूजन को कम करते हैं. यह विटामिन ए, सी और ई सहित फाइबर, खनिज और एंटीऑक्सीडेंट का स्रोत है.