हैदराबाद: सीने में जलन या एसिडिटी की समस्या आजकल हर उम्र के लोगों में बहुत आम है. खासतौर पर गर्मी के मौसम में लोगों में पेट से जुड़ी कई तरह की समस्याएं बढ़ जाती हैं. जानकार बताते हैं कि गर्मी के मौसम में एक तो वैसे ही पेट की गर्मी बढ़ जाती उस पर यदि आहार में थोड़ी भी गड़बड़ी हो जाए तो पाचन पर असर पड़ने लगता है, जो एसिडिटी व अन्य समस्याओं का कारण बन जाता है. वैसे तो बाजार में इन समस्याओं से राहत दिलाने में मददगार कई प्रकार के एंटासिड मिलते हैं, लेकिन कई शोध तथा रिपोर्ट में यह बात सामने आई है कि कुछ विशेष प्रकार के एन्टासिड के पार्श्व प्रभाव भी नजर आ सकते हैं. लेकिन नेचुरोपेथी के जानकार बताते हैं कि एसिडिटी या पाचन से जुड़ी कई समस्याओं में यह चिकित्सा विधा काफी कारगर अपेक्षाकृत ज्यादा सुरक्षित नतीजे देती है.
क्यों होती है एसिडिटी : इंदौर मध्य प्रदेश की प्राकृतिक चिकित्सक तथा आहार विशेषज्ञ डॉ आरती परमार बताती हैं कि एसिडिटी पाचन से जुड़ी एक बहुत ही आम समस्या है, जो कई बार पाचन प्रणाली में खाना पचाने वाले एसिड की मात्रा के जरूरत से ज्यादा बढ़ जाने के कारण हो जाती है. वहीं यदि एसिडिटी ज्यादा बढ़ने लगे तो पीड़ितों को कई कम या ज्यादा गंभीर व परेशान करने वाली समस्याएं महसूस होने लगती हैं. वह बताती हैं कि एसिडिटी के कारणों की बात करें तो उनमें से कुछ खास इस प्रकार हैं.
- अस्वास्थ्यकर खान-पान की आदतें जैसे जंक फूड, फास्ट फूड तथा ज्यादा तेल वाले व मसालेदार आहार का सेवन.
- ऐसे आहार का सेवन करना जिसमें पोषक तत्वों विशेषकर फाइबर की कमी होती है.
- कभी भी किसी भी समय किसी भी प्रकार का आहार खाना.
- लेटकर भोजन करना या खाने के तुरंत बाद सो जाना या लेट जाना.
- सोने व जागने के समय से जुड़े अनुशासन में कमी तथा कम मात्रा में सोना.
- व्यायाम ना करना तथा असक्रिय दिनचर्या व जीवन शैली का पालन करना.
- ज्यादा मात्रा में धूम्रपान, शराब और कैफीन का सेवन करना.
- तनाव.
- किसी रोग या दवा के पार्श्व प्रभाव के कारण, आदि.
एसिडिटी के लक्षण
- वह बताती हैं कि एसिडिटी की समस्या होने पर गैस और पेट फूलने सहित बहुत से अन्य लक्षण भी नजर आने लगते हैं, जिनमें से कुछ इस प्रकार हैं.
- पेट के ऊपरी व निचले हिस्से में तथा कई बार छाती में दर्द और जलन होना.
- पेट हमेशा भरा हुआ महसूस होना.
- डकार के साथ उल्टी या मतली का अनुभव होना.
- मुंह में लंबे समय तक खट्टा या कड़वा स्वाद बने रहना.
- कब्ज तथा अपच होना.
- हिचकी आना.
- बदबूदार सांस, आदि.
कैसे करें बचाव : डॉ आरती परमार बताती हैं कि नेचुरोपैथी में ऐसी समस्याओं से बचाव के लिए आहार व जीवन शैली में अनुशासन व संतुलन बनाए रखने की बात कही जाती है. इसके साथ ही नियमित आहार में तथा कभी-कभी नुस्खों के रूप में औषधीय गुणों वाले कुछ खाद्य पदार्थों, मसालों तथा पौधों व पत्तियों के सेवन की सलाह दी जाती है.
वह बताती हैं कि ऐसे लोग जिन्हे नियमित रूप से गैस या एसिडिटी की समस्या रहती है उन्हे अपने आहार पर ध्यान देने के साथ अपनी नियमित खानपान की दिनचर्या में अजवाइन, तुलसी, पुदीना, जीरा, सौंफ, लौंग तथा इलायची जैसे मसालों को शामिल करना चाहिए. जो ना सिर्फ शरीर में पाचक एंजाइम बढ़ाने में मदद करते हैं बल्कि इनमें मौजूद कूलिंग इफेक्ट एसिडिटी के कारण पेट में होने वाली जलन व दर्द को शांत करने में भी मदद करते हैं.