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लैंसेट रिसर्च ने आने वाले सालों के लिए एंटीबायोटिक दवाओं के अधिक उपयोग के प्रति चेतावनी जारी की - Antibiotics AMR

Antibiotics AMR : लैंसेट के एक रिसर्च के अनुसार, 2025 से 2050 के बीच भारत में सेप्सिस से होने वाली 30 लाख मौतों में से एक तिहाई मौतें सीधे तौर पर सुपरबग्स के कारण होने वाले एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध या एएमआर से जुड़ी होने का अनुमान है.

ANTIBIOTICS CAN CAUSE MILLIONS PEOPLE DEATH BY 2050 SAYS LANCET NEW RESEARCH
कॉन्सेप्ट इमेज (IANS)

By ETV Bharat Health Team

Published : Sep 18, 2024, 12:57 PM IST

Updated : Sep 18, 2024, 3:27 PM IST

हैदराबाद: लैंसेट की एक नई रिसर्च के अनुसार, 2019 में भारत में सेप्सिस (घाव का सड़ना) से होने वाली 29.9 लाख मौतों में से 60 प्रतिशत मौतें जीवाणु संक्रमण के कारण हुईं. रिसर्च एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग या गलत उपयोग के प्रति सचेत करता है, जो किसी व्यक्ति की जान ले सकता है. उस वर्ष लगभग 10.4 लाख सेप्सिस मौतों में से (33.4%) बैक्टीरियल एएमआर से संबंधित थीं, जिनमें से 2.9 लाख सेप्सिस मौतें सीधे तौर पर इसके कारण हुईं. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, सेप्सिस से मृत्यु तब होती है जब किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली जीवाणु संक्रमण के प्रति खतरनाक प्रतिक्रिया करती है और उपचार के बिना, अंग विफलता का कारण बन सकती है.

AMR क्या है :एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Anti microbial resistance), AMR रोगी के जीवनकाल में पहले इस्तेमाल किए गए एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग या गलत उपयोग का परिणाम है. भारत में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया की बढ़ती दरों के साथ, उपचार के विकल्प तेजी से सीमित होते जा रहे हैं, जो एक साथ स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं. लैंसेट का अनुमान है कि अगले 25 वर्षों में दुनिया भर में 39 लाख से अधिक लोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण से मर सकते हैं क्योंकि आने वाले वर्षों में AMR के और खराब होने का अनुमान है.

ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस- GRAM प्रोजेक्ट की नई रिसर्च के आधार पर, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के रुझानों का दुनिया में यह पहला वैश्विक विश्लेषण है. रिसर्च के लेखक डॉ मोहसेन नागहवी, इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स (IHME) यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन, यूएसए में AMR रिसर्च टीम के टीम लीडर ने कहा कि "यह समझना कि समय के साथ AMR मौतों के रुझान कैसे बदले हैं, और भविष्य में उनके बदलने की संभावना कैसी है, जीवन बचाने में मदद करने के लिए सही निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है,"

नतीजे प्राप्त करने के लिए, रिसर्चर्स ने भारत समेत 204 देशों व क्षेत्रों में सभी उम्र के लोगों के बीच 22 रोगजनकों, 84 रोगजनक-दवा संयोजनों और 11 संक्रामक सिंड्रोम (रक्तप्रवाह संक्रमण, मेनिन्जाइटिस और अन्य संक्रमण सहित) का उपयोग किया.

अध्ययन के नतीजों की भारत में प्रासंगिकता
विशेष रूप से भारतीय शरीर के प्रकार के लिए तीन सबसे आम प्रतिरोधी रोगाणुओं की पहचान की गई है, इसमें से ई कोली- e coli विशेष रूप से भारतीय शरीर के प्रकार (Indian body type) के लिए है, जो आंत के संक्रमण का कारण बन सकते हैं; क्लेबसिएला निमोनिया जो निमोनिया और मूत्र पथ के संक्रमण का कारण बन सकता है और एसिनेटोबैक्टर बाउमानी, जो मुख्य रूप से अस्पताल में होने वाले संक्रमण से जुड़ा है.
लैंसेट अध्ययन के अनुसार, भारत में सेप्सिस से होने वाली मौतों के सबसे ज्यादा मामले निचले श्वसन संक्रमण और वक्ष में संबंधित संक्रमण के कारण हुए, जो कुल मौतों का लगभग 27% है. 2029 में, सेप्सिस के कारण होने वाली पांच लाख मौतों में से 3.25 लाख बच्चे जीवाणु संक्रमण के कारण मारे गए. पांच साल से कम उम्र के बच्चों में स्ट्रेप्टोकोकस न्यूमोनिया को सबसे घातक जीवाणु संक्रमण माना गया.

विश्व स्तर पर, मेथिसिलिन-प्रतिरोधी एस. ऑरियस- MRSA के कारण होने वाली मौतों में सबसे ज्यादा वृद्धि हुई, 2021 में मरने वालों की संख्या 130000 हो गई, जो 1990 में 57200 मौतों से दोगुनी थी. कार्बापेनम के प्रति प्रतिरोध किसी भी अन्य प्रकार के एंटीबायोटिक की तुलना में सबसे ज्यादा बढ़ा, 1990 में 127000 से बढ़कर 2021 में 216000 हो गया. भारत में, सबसे ज्यादा जानलेवा जोखिम एमिनोपेनिसिलिन-प्रतिरोधी ई.कोली का दवा संयोजन था, जिसके कारण कम से कम 6.8 लाख मौतें हुईं.

डिस्कलेमर: यहां दी गई जानकारी और सुझाव सिर्फ आपकी जानकारी के लिए हैं. बेहतर होगा कि इन पर अमल करने से पहले आप डॉक्टर की सलाह ले लें.

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Last Updated : Sep 18, 2024, 3:27 PM IST

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