हैदराबाद: लैंसेट की एक नई रिसर्च के अनुसार, 2019 में भारत में सेप्सिस (घाव का सड़ना) से होने वाली 29.9 लाख मौतों में से 60 प्रतिशत मौतें जीवाणु संक्रमण के कारण हुईं. रिसर्च एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग या गलत उपयोग के प्रति सचेत करता है, जो किसी व्यक्ति की जान ले सकता है. उस वर्ष लगभग 10.4 लाख सेप्सिस मौतों में से (33.4%) बैक्टीरियल एएमआर से संबंधित थीं, जिनमें से 2.9 लाख सेप्सिस मौतें सीधे तौर पर इसके कारण हुईं. चिकित्सा विज्ञान के अनुसार, सेप्सिस से मृत्यु तब होती है जब किसी व्यक्ति की प्रतिरक्षा प्रणाली जीवाणु संक्रमण के प्रति खतरनाक प्रतिक्रिया करती है और उपचार के बिना, अंग विफलता का कारण बन सकती है.
AMR क्या है :एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध (Anti microbial resistance), AMR रोगी के जीवनकाल में पहले इस्तेमाल किए गए एंटीबायोटिक दवाओं के अत्यधिक उपयोग या गलत उपयोग का परिणाम है. भारत में दवा प्रतिरोधी बैक्टीरिया की बढ़ती दरों के साथ, उपचार के विकल्प तेजी से सीमित होते जा रहे हैं, जो एक साथ स्वास्थ्य चुनौतियों को बढ़ा रहे हैं. लैंसेट का अनुमान है कि अगले 25 वर्षों में दुनिया भर में 39 लाख से अधिक लोग एंटीबायोटिक प्रतिरोधी संक्रमण से मर सकते हैं क्योंकि आने वाले वर्षों में AMR के और खराब होने का अनुमान है.
ग्लोबल रिसर्च ऑन एंटीमाइक्रोबियल रेसिस्टेंस- GRAM प्रोजेक्ट की नई रिसर्च के आधार पर, एंटीमाइक्रोबियल प्रतिरोध के रुझानों का दुनिया में यह पहला वैश्विक विश्लेषण है. रिसर्च के लेखक डॉ मोहसेन नागहवी, इंस्टीट्यूट ऑफ हेल्थ मेट्रिक्स (IHME) यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन, यूएसए में AMR रिसर्च टीम के टीम लीडर ने कहा कि "यह समझना कि समय के साथ AMR मौतों के रुझान कैसे बदले हैं, और भविष्य में उनके बदलने की संभावना कैसी है, जीवन बचाने में मदद करने के लिए सही निर्णय लेने के लिए महत्वपूर्ण है,"
नतीजे प्राप्त करने के लिए, रिसर्चर्स ने भारत समेत 204 देशों व क्षेत्रों में सभी उम्र के लोगों के बीच 22 रोगजनकों, 84 रोगजनक-दवा संयोजनों और 11 संक्रामक सिंड्रोम (रक्तप्रवाह संक्रमण, मेनिन्जाइटिस और अन्य संक्रमण सहित) का उपयोग किया.