नई दिल्ली:खुद का बिजनेस छोड़कर जब रंग मंच के क्षेत्र को अपने भविष्य के रूप में चुना तो परिवार ने घर से निकाल दिया. एक हफ्ते अपनी ही फैक्ट्री में काम करने वाले मजदूर के घर रहे, लेकिन हार नहीं मानी. लड़ाई जारी रही. यह कहानी है एक्टर श्रीकांत वर्मा की. आज वर्मा बॉलीवुड से लेकर रंगमंच, OTT और वेब सीरीज में काफी नाम हासिल कर चुके हैं. ये मिर्जापुर सीजन 3 में फिर नजर आएंगे.
इसके अलावा पंचायत सीजन 2 में भी ठेकेदार की भूमिका में नजर आए. राजधानी दिल्ली के मंडी हाउस स्थित NSD में आयोजित भारत रंग महोत्सव (भारंगम) में ETV भारत ने मशहूर आर्टिस्ट श्रीकांत वर्मा से खास बातचीत की. ऐसे में आइए जानते हैं उन्होंने अपने रंग मंच करियर की शुरुआत कैसे की? आगे किस तरह की भूमिकाओं में वे दिखाई देंगे?
सवाल: इस बार का भारंगम आपको कितना खास लग रहा है?
जवाब:भारंगम नाटकों का बहुत बड़ा मेला है. मैं भी करीब 30-35 वर्षों से रंगमंच और नाटकों से जुड़ा रहा हूं. इसलिए मेरे लिए भारंगम महापर्व की तरह ही है. अगर मैं दिल्ली में होता हूं तो यहां जरूर आता हूं. ये दिल्ली की खासियत है, यहां नाटकों और रंगमंच कलाकरों को पसंद किया जाता है.
सवाल:एक नाट्य कलाकार के तौर पर आपने शुरुआत कैसे की और परिवार का कितना समर्थन मिला?
जवाब: मुझे नहीं लगता कि मेरी जेनरेशन में किसी का भी परिवार अपने बच्चे को नाटकों या फिल्मों में जाने की अनुमति देता होगा. वही मेरे साथ भी रही. मैं दिल्ली में ही पला बढ़ा हूं. मेरा परिवार एक बिजनेस बेस्ड परिवार है. पिता जी भी यही चाहते थे कि मैं भी बिजनेस करूं, लेकिन मेरा मन नहीं मानता था. यहां तक की गारमेंट्स की एक फैक्ट्री केवल मेरे लिए खुलवाई गई थी. वह चाहते थे कि मैं भी उन्हीं की तरह एक बिजनेसमैन बनूं, लेकिन मुझे बिजनेस करना पसंद नहीं था. मेरे मन में ललक थी की दुनियाभर के लोग मुझे मेरे काम से जानें. इसलिए मैंने आर्टिस्ट बनने की जिद्द की, लेकिन घरवाले नहीं माने. बात इतनी बिगड़ी कि परिवारवालों ने घर से निकाल दिया. मैं एक सप्ताह तक घर से दूर रहा फिर पिता जी ने ढूंढ कर वापस बुला लिया. जब मैं घर पंहुचा तो पिता जी ने कहा "ठीक है जो ठीक लगे वो करो. लेकिन उनका मन नहीं था. फिर एक समय ऐसा भी आया, जब वह दूसरों से मेरी तारीफ किया करते थे. अब उनकी याद आती है अगर वह आज होते तो उन्हें मुझ पर गर्व होता.
सवाल: जो बच्चे आज भी रंगमंच और नाटकों की दुनिया में जाने के लिए अपने परिवार से संघर्ष कर रहे हैं उनको क्या संदेश देना चाहेंगे?
जवाब:उनको समझने की जरूरत है. कोई भी माता-पिता अपने बच्चों का बुरा नहीं सोचते. वो हमेशा चाहते हैं कि उनके बच्चे ऊंचाइयों को छुएं. ये एक बच्चे का काम है कि वह इस तरह अपने परिवार को समझा सके और अपने पसंद का भविष्य बता सके. बच्चों की जिम्मेदारी है वह माता पिता को समझा कर उनके साथ आगे बढ़ें.