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कंगना ने दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में सीएम के सुइट में रुकने की जताई इच्छा, नेताओं के बीच हुई जुबानी जंग - Kangana Ranaut - KANGANA RANAUT

Kangana Ranaut: बॉलीवुड एक्ट्रेस और सांसद कंगना रनौत ने हाल ही में नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में कथित तौर पर मुख्यमंत्री के सुइट में रहने की इच्छा जताई. उनकी इस मांग से मंगलवार को सत्तारूढ़ महायुति व विपक्षी महा विकास अघाड़ी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई.

Kangana Ranaut
कंगना रनौत (IANS)

By IANS

Published : Jun 25, 2024, 7:41 PM IST

मुंबई: बॉलीवुड एक्ट्रेस और भाजपा सांसद कंगना रनौत की नई दिल्ली में महाराष्ट्र सदन में मुख्यमंत्री के सुइट में रहने कीकथित मांग से मंगलवार को सत्तारूढ़ महायुति व विपक्षी महा विकास अघाड़ी के बीच जुबानी जंग छिड़ गई. हिमाचल प्रदेश के अपने होमटाउन मंडी से लोकसभा सांसद 38 वर्षीय कंगना रनौत ने कथित तौर पर राष्ट्रीय राजधानी में महाराष्ट्र सदन में सीएम के आलीशान सुइट में रहने की इच्छा जताई है.

संजय राउत ने कंगना की इस मांग को बेतुका बताया

संसद के नए सत्र की शुरुआत पर सोमवार को कंगना रनौत ने महाराष्ट्र सदन का दौरा किया. इस दौरान उन्होंने लगभग सभी कमरों को देखा, उन्हें सीएम का सुइट पसंद आया. शिवसेना (यूबीटी) के सांसद और मुख्य प्रवक्ता संजय राउत ने सीएम के सुइट की मांग करने के लिए कंगना की आलोचना करते हुए इसे बेतुका बताया और कहा कि वह महाराष्ट्र भवन पर नजर रखने के बजाय राष्ट्रपति भवन में क्यों नहीं रह सकतीं.

कांग्रेस की पूर्व मिनिस्टर ने लिया कंगना का पक्ष

कांग्रेस की पूर्व मंत्री यशोमति ठाकुर ने इस मामले पर थोड़ी नरमी दिखाते हुए कहा कि एक्ट्रेस कंगना रनौत अभी-अभी सांसद बनी हैं, उन्हें ऐसे मामलों में प्रोटोकॉल के बारे में जानकारी नहीं हो सकती है, इसलिए उन्होंने यह मांग की होगी. एनसीपी (एसपी) के राष्ट्रीय प्रवक्ता क्लाइड क्रैस्टो ने कहा कि लगभग तीन साल पहले तत्कालीन एमवीए के सीएम उद्धव ठाकरे के साथ हुए टकराव पर कंगना रनौत ने मुंबई और महाराष्ट्र की तुलना पाकिस्तान से की थी. अब वह अचानक दावा करती हैं कि महाराष्ट्र उनके दूसरे घर जैसा है, तो उन्होंने अपनी ‘जन्मभूमि’ के बजाय अपनी ‘कर्मभूमि’ से लोकसभा चुनाव क्यों नहीं लड़ा?

इस बीच, अधिकारियों ने कहा कि चूंकि कंगना रनौत हिमाचल प्रदेश से निर्वाचित सांसद हैं, इसलिए उन्हें महाराष्ट्र सदन के बजाय हिमाचल भवन के अधिकारियों के समक्ष ऐसे मुद्दे उठाने चाहिए थे. उन्होंने उनकी मांग को खारिज कर दिया है.

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