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यूजीसी का सुझाव- उम्मीदवार नहीं होने पर एससी, एसटी, ओबीसी पदों का आरक्षण हटाया जा सकता है, बाद में दी सफाई - vacancy reserved

University Grants Commission : यूजीसी ने सुझाव दिया है कि उम्मीदवार नहीं होने पर एससी, एसटी और ओबीसी पदों का आरक्षण हटाया जा सकता है. हालांकि बाद में यूजीसी ने इस पर सफाई देते हुए कहा है कि किसी भी आरक्षित पद को अनारक्षित नहीं किया जा सकता. पढ़िए पूरी खबर... vacancy reserved

University Grants Commission
विश्वविद्यालय अनुदान आयोग

By PTI

Published : Jan 28, 2024, 6:22 PM IST

Updated : Jan 28, 2024, 9:42 PM IST

नई दिल्ली : विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (UGC) के नए मसौदा दिशानिर्देशों में सुझाव दिया गया है कि अनुसूचित जाति (SC), अनुसूचित जनजाति (ST) या अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC) के उम्मीदवारों के लिए आरक्षित रिक्तियां इन श्रेणियों के पर्याप्त उम्मीदवार नहीं आने की स्थिति में अनारक्षित घोषित की जा सकती हैं. यूजीसी के नए मसौदा दिशानिर्देशों में यह जानकारी दी गई है.

इस संबंध में यूजीसी के अध्यक्ष एम. जगदीश कुमार ने अपने बयान में कहा है कि यह स्पष्ट करना है कि अतीत में केंद्रीय शैक्षणिक संस्थानों (सीईआई) में आरक्षित श्रेणी के पदों का कोई आरक्षण नहीं हुआ है और ऐसा कोई आरक्षण नहीं होने जा रहा है. उन्होंने कहा है कि यह है सभी उच्च शिक्षा संस्थानों के लिए यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि आरक्षित श्रेणी के सभी बैकलॉग पद ठोस प्रयासों के माध्यम से भरे जाएं.

बता दें कि 'उच्च शिक्षा संस्थानों में भारत सरकार की आरक्षण नीति के कार्यान्वयन के लिए दिशा-निर्देश' हितधारकों की आपत्ति और सुझाव के खातिर सार्वजनिक किए गए हैं. मसौदा दिशा-निर्देश में कहा गया, 'अनुसूचित जाति या अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित रिक्तियां संबंधित उम्मीदवार के अलावा किसी अन्य उम्मीदवार द्वारा नहीं भरी जा सकती.'

यह भी कहा गया, 'हालांकि, एक आरक्षित रिक्ति को अनारक्षण की प्रक्रिया का पालन करके अनारक्षित घोषित किया जा सकता है, जिसके बाद इसे अनारक्षित रिक्ति के रूप में भरा जा सकता है.' लेकिन साथ ही कहा गया है कि सीधी भर्ती के मामले में आरक्षित रिक्तियों को अनारक्षित घोषित करने पर प्रतिबंध है.

मसौदे के अनुसार, 'चूंकि समूह ‘ए’ सेवा में कोई रिक्ति सार्वजनिक हित में खाली नहीं छोड़ी जा सकती, ऐसे में इस तरह के दुर्लभ और असाधारण मामलों में संबंधित विश्वविद्यालय रिक्ति के आरक्षण को रद्द करने का प्रस्ताव तैयार कर सकता है. अपने प्रस्ताव में उसे बताना होगा कि पद भरने के लिए कितनी बार प्रयास किये गए, रिक्ति को क्यों खाली नहीं रखा जा सकता और आरक्षण रद्द करने का औचित्य क्या है.'

यह भी सुझाव है, 'ग्रुप सी या डी के मामले में आरक्षण रद्द करने का प्रस्ताव विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद को भेजा जाना चाहिए और समूह 'ए' या 'बी' के मामले में प्रस्ताव आवश्यक अनुमोदन के लिए पूर्ण विवरण के साथ शिक्षा मंत्रालय को प्रस्तुत किया जाना चाहिए. मंजूरी मिलने के बाद पद भरा जा सकता है और आरक्षण को आगे बढ़ाया जा सकता है.'

इन दिशानिर्देशों पर कई जगहों से तीखी प्रतिक्रिया आ रही है. जवाहर लाल नेहरू छात्र संघ (जेएनयूएसयू) ने इसके खिलाफ विरोध प्रदर्शन करने और यूजीसी अध्यक्ष एम जगदीश कुमार का पुतला जलाने का ऐलान किया है. दिशानिर्देशों की आलोचना पर कुमार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल पाई है.

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Last Updated : Jan 28, 2024, 9:42 PM IST

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