नई दिल्ली : छात्रों के साथ 'परीक्षा पर चर्चा' करते हुए सोमवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वयं को प्रेशर झेलने के लिए सामर्थ्यवान बनाना चाहिए. यह मानकर चलना चाहिए जीवन में दबाव तो बनता रहता है. प्रधानमंत्री ने छात्रों को पढ़ाई करने के साथ-साथ अच्छी नींद, संतुलित आहार व फिजिकल एक्टिविटी के लिए भी प्रेरित किया.
चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री से पहला प्रश्न ओमान में भारतीय स्कूल की छात्रा डेन्या ने पूछा. दिल्ली के कक्षा 12 के छात्र अर्श व अन्य छात्रों ने पूछा कि सामाजिक अपेक्षाएं दबाव बनाती हैं और इन दबाव से कैसे बाहर निकल सकते हैं. प्रधानमंत्री ने कहा कि एक दबाव वह होता है जो हमने खुद ही तैयार किया है, मसलन सुबह इतने बजे उठना ही उठना है, इतने प्रश्न हल करने ही हैं. हमें धीरे-धीरे आगे बढ़ना चाहिए, जितना हमने आज किया अगले दिन उससे थोड़ा आगे बढ़कर करें.
पीएम ने कहा कि दूसरा दबाव माता-पिता उत्पन्न करते हैं. यह क्यों नहीं किया, वह क्यों नहीं किया, क्यों सोते रहे, जल्दी उठो, पता नहीं एग्जाम है. दोस्तों से तुलना करते हैं, कहते हैं सहपाठी को देखो वह कितना अच्छा कर रहा है. तीसरा दबाव ऐसा होता है जिसमें कारण कुछ नहीं है, बस समझ का अभाव है। बिना कारण किसी चीज को संकट मान लेते हैं.
प्रधानमंत्री ने कहा कि इन समस्याओं को पूरे परिवार, शिक्षकों व छात्र सबको मिलकर हल करना होगा. ऐसा नहीं है कि अकेले छात्र इससे निपट सकते हैं.आपसी चर्चा और समन्वय से इन चीजों को दूर किया जा सकता है. कुछ छात्रों व अभिभावकों ने छात्रों की आपसी प्रतिस्पर्धा के कारण से उत्पन्न होते तनाव पर प्रश्न पूछे. इस पर प्रधानमंत्री ने कहा कि यदि जीवन में प्रतिस्पर्धा न हो तो तो फिर जीवन बहुत ही प्रेरणाहीन व चेतनाहीन बन जाएगा. लेकिन स्वस्थ प्रतिस्पर्धा होनी चाहिए. कभी-कभी खराब प्रवृत्ति का यह बीज पारिवारिक वातावरण में ही बो दिया जाता है. दो भाइयों या दो बहनों में विकृत स्पर्धा का भाव बो दिया जाता है. यह आगे चलकर यह बीज परिवारों में एक जहरीला वृक्ष बन जाता है.