हैदराबाद: कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो की हरकतों के चलते छात्रों को खामियाजा भुगतना पड़ रहा है. ताजा जानकारी के मुताबिक भारत और कनाडा के बीच चल रही राजनयिक तनातनी के बीच वहां जाकर पढ़ाई करने के इच्छुक भारतीय छात्रों की संख्या में बड़ी गिरावट देखी गई है. कई छात्र जो कभी कनाडा में पढ़ने की हसरत पाले हुए थे अब वे वहां के लिए वीजा समेत दूसरी दिक्कतों को देखते हुए, दूसरे देशों में जाने की सोच रहे हैं.
आईईएलटीएस के एक स्टूडेंट शिवम ने बताया कि पहले कनाडा का मेरा प्लान था लेकिन वो बाद में बदल गया क्योंकि डॉक्यूमेंटेशन और बढ़ चुके हैं जीआईसी की भी परेशानी आ रही है. शिवम ने कहा कि इसके मुकाबले अमेरिका जाना काफी सरल है. उन्होंने कहा कि जो फीडबैक मिल रहे हैं उसके मुताबिक कनाडा में काफी काम कम हैं. वहां जाना हमारे लिए सही फैसला नहीं होगा.
कनाडा जाने वाले स्टूडेंट्स की संख्या में आई कमी (PTI Videos) आईईएलटीएस के एक दूसरे छात्र अभिषेक ने भी कहा कि वहां के डॉक्यूमेंटेशन और वीजा प्रॉसेस अब बहुत लंबे हो गए हैं. इसके साथ ही, फीस और चार्जेज भी बढ़ गए हैं, जिससे कनाडा जाने की कोशिश करने वालों के लिए कई समस्याएं पैदा हो रही हैंं. कोई नौकरियां नहीं हैं और यहां तक कि रहने के लिए भी किराए का प्रबंध करना मुश्किल हो रहा है. हालात इस कदर बेकार हैं कि पढ़ाई के साथ साथ कुछ छात्र अपनी फीस का भी प्रबंध नहीं कर पाते.
इससे इतर कनाडा में लग रही तमाम नई बंदिशों को देखते हुए कुछ छात्र अब ब्रिटेन, अमेरिका और दूसरे यूरोपीय देशों में जाने की प्लानिंग बना रहे हैं. इसी सिलसिले में आईईएलटीएस के अन्य छात्र राजवीर सिंह ने बताया कि वहां के हालात देखकर मैंने अपना फैसला बदल लिया है. कनाडा की तुलना में, मैं यूके के लिए आवेदन कर रहा हूं क्योंकि कनाडा में बहुत कम नौकरियां हैं और घर का किराया बहुत ज्यादा है. इसलिए मैंने यूके को चुना. कनाडा में वीजा प्रक्रिया में देरी होती है, जबकि ब्रिटेन में वीजा प्रक्रिया काफी तेज है. इसलिए मैं यूके के लिए आवेदन किया है.
वहीं, छात्रों को विदेश भेजने में मदद करने वाले संस्थानों का भी कहना है कि कनाडा जाने वाले छात्रों में भारी गिरावट आई है. इस पर आईईएलटीएस इंस्टीट्यूट मालिक शैलजा शर्मा ने बताया कि एक साल पहले छात्रों में कनाडा के प्रति खासा रुझान था क्योंकि कम डॉक्यूमेंटेशन के कारण वीजा आसानी से मिल जाता था, लेकिन जब से उन्होंने कनाडा में (दस्तावेजीकरण की) सख्ती बढ़ाई है, छात्रों का रुझान अमेरिका, ब्रिटेन और जर्मनी की ओर ज्यादा हो गया है. इसके अलावा अन्य मुद्दे भी हैं, जैसे छात्रों के लिए नौकरियों के अवसरों की कमी और उन्होंने वर्क परमिट को भी बंद कर दिया है. तो, ये कुछ मुद्दे हैं जिनका छात्र सामना कर रहे हैं.
इससे पहले कनाडा ने शनिवार को फास्ट-ट्रैक स्टडी वीजा प्रोग्राम खत्म कर दिया है. स्टूडेंट डायरेक्ट स्ट्रीम (SDS) के तहत आवेदन करने वाले छात्रों को कम समय में तेजी से वीजा मिलता था इससे अब भारत सहित कई अंतरराष्ट्रीय छात्रों पर असर पड़ने की संभावना है. ये कदम भारत और कनाडा के बीच चल रहे राजनयिक विवाद के बीच उठाया गया है. ओटावा में भारतीय उच्चायोग के मुताबिक करीब 4,27,000 भारतीय छात्र फिलहाल कनाडा में पढ़ रहे हैं.
पढ़ें:ट्रूडो सरकार ने बंद किया लोकप्रिय स्टूडेंट वीजा प्रोग्राम,भारत समेत 14 देशों के छात्रों को झटका