मुंबई:पिछले कुछ सालों में दिल का दौरा पड़ने से या फिर स्ट्रोक से होने वाली मौतों में काफी बढ़ोतरी देखने को मिल रही है. ऐसा भी कह सकते हैं कि कोविड-19 महामारी के बाद से इनमें लगातार वृद्धि हुई है. स्ट्रोक भारत में मृत्यु का दूसरा सबसे आम कारण है. भारत में हर साल लगभग 1,85,000 स्ट्रोक होते हैं, जिनमें लगभग हर 40 सेकंड में एक स्ट्रोक होता है और हर 4 मिनट में एक स्ट्रोक से मौत होती है. वहीं, राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के हालिया आंकड़ों से पता चलता है कि 2022 में दिल के दौरे के मामलों में 12.5 फीसदी की उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. एनसीआरबी की लेटेस्ट 'भारत में आकस्मिक मृत्यु और आत्महत्या' रिपोर्ट से संकेत मिलता है कि 2022 में दिल के दौरे से 32,457 लोगों की मौत हुई, जो पिछले वर्ष दर्ज की गई 28,413 मौतों से अधिक है.
जेरोधा के सह-संस्थापक को आया स्ट्रोक
ये मामला इसलिए जोर पकड़ रहा है कि क्योंकि हाल के दिनों में कई जानी-मानी हस्तियों की मौत या तो हार्ट अटैक की वजह से हुई या फिर स्ट्रोक की वजह से. इसमें सबसे ज्यादा कम उम्र के लोग शामिल हैं. ऑनलाइन स्टॉक ट्रेडिंग प्लेटफॉर्म जेरोधा के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी नितिन कामथ ने भी बताया कि करीब 6 सप्ताह पहले उन्हें स्ट्रोक आया था. इसके बाद कामत सुर्खियां में आ गए हैं.
नितिन कामत ने एक्स पर पोस्ट कर लिखा, 'पिताजी का निधन, खराब नींद, थकावट, डिहाइड्रेशन और अधिक काम करना, इनमें से कोई भी संभावित कारण हो सकता है. मेरे चेहरे पर भारी झुर्रियां पड़ गई हैं और मैं पढ़ या लिख नहीं पा रहा हूं, अब थोड़ा सा झुक गया हूं, लेकिन और अधिक पढ़ने और लिखने में सक्षम हो गया हूं. पूरी तरह ठीक होने के लिए 3 से 6 महीने लगेंगे.'
उन्होंने आगे कहा कि मुझे आश्चर्य हुआ कि एक व्यक्ति जो फिट है और अपना ख्याल रखते हैं, वह प्रभावित क्यों हो सकते हैं. डॉक्टर ने उन्हें आराम की सलाह दी है.
ऑर्थोपेडिक सर्जन ने दी स्ट्रोक पर राय
नितिन कामथ के इस पोस्ट के बाद ऑर्थोपेडिक सर्जन डॉ मनन वोरा ने लिंक्डइन पर चिंता जताई. उन्होंने पोस्ट में कहा कि कामथ को हल्के स्ट्रोक के बाद हाल ही में अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा था. वह सिर्फ 45 साल के हैं. प्रतिदिन कसरत किया करते थे. अच्छा खाते थे और यहां तक कि उनके पास सिक्स-पैक एब्स भी हैं. एक डॉक्टर के तौर पर, यह देखना चिंताजनक है कि ऐसे मामले 18 से 55 वर्ष की उम्र के बीच के व्यक्तियों में तेजी से बढ़ रहे हैं.