मुंबई: सोमवार को भारतीय बेंचमार्क इक्विटी सूचकांकों में भारी गिरावट दर्ज की गई. जिसके कारण कारण बैंकिंग, वित्तीय और आईटी स्टॉक्स में गिरावट रही. सुबह करीब 10:58 बजे बीएसई सेंसेक्स 1,409 अंक या 1.77% गिरकर 78,316 पर आ गया, जबकि निफ्टी 50 454 अंक या 1.87% गिरकर 23,850 पर आ गया. बीएसई पर सूचीबद्ध सभी कंपनियों का बाजार पूंजीकरण 8.44 लाख करोड़ रुपये घटकर 439.66 लाख करोड़ रुपये रह गया.
सेंसेक्स पर रिलायंस इंडस्ट्रीज, इंफोसिस, आईसीआईसीआई बैंक, एचडीएफसी बैंक और सन फार्मा सबसे ज्यादा 420 अंकों की गिरावट के साथ सबसे नीचे रहे. एलएंडटी, एक्सिस बैंक, टीसीएस और टाटा मोटर्स भी लाल निशान पर कारोबार करते दिखे.
सेक्टोरियल मोर्चे पर, निफ्टी बैंक, ऑटो, वित्तीय सेवा, आईटी, फार्मा, धातु, रियल्टी, उपभोक्ता टिकाऊ वस्तुएं और तेल एवं गैस के सूचकांक 0.5% से 1.7% के बीच गिरे. इस बीच, बाजार की अस्थिरता को मापने वाला इंडिया VIX 5.2% बढ़कर 16.73 पर पहुंच गया.
अमेरिकी चुनाव से पहले सावधानी : भारतीय शेयर बाजार में बिकवाली की यह प्रतिक्रिया अमेरिकी चुनाव से जुड़ी अनिश्चितता से जुड़ी है. जनमत सर्वेक्षणों से पता चलता है कि डेमोक्रेटिक उम्मीदवार कमला हैरिस और रिपब्लिकन डोनाल्ड ट्रंप के बीच कड़ी टक्कर है.
मूल्यांकन अभी भी असहज :हालिया सुधार के बावजूद, विशेषज्ञों को मूल्यांकन के मोर्चे पर कोई खास राहत नहीं दिख रही है. अंग्रेजी अखबार मिंट ने इक्विटी रिसर्च प्लेटफॉर्म ट्रेंडलाइन के हवाले से लिखा है कि निफ्टी 50 का मौजूदा पीई (मूल्य-से-आय) अनुपात 22.7 है, जो दो साल के औसत पीई 22.2 से ऊपर है और एक साल के औसत पीई 22.7 के करीब है.
फेड फैक्टर : अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीति का परिणाम 7 नवंबर को निर्धारित है, जिसमें विशेषज्ञों को 25-आधार-बिंदु दर कटौती की उम्मीद है. हालांकि, इससे बाजार में कोई बदलाव नहीं आएगा. मोटे तौर पर, उम्मीद यही है कि यूएस फेड 25 बीपीएस की कटौती करेगा. लेकिन चुनाव में किये जा रहे वादों को ध्यान में रखते हुए अंदाजा लगाया जा रहा है कि अमेरिकी सरकार का राजकोषीय घाटा भविष्य में भी अधिक रहने वाला है. यह बाजार के लिए अच्छी खबर नहीं है.
दूसरी तिमाही के कमजोर आंकड़े :इंडिया इंक के सितंबर तिमाही के नतीजे उम्मीद से कमजोर रहे हैं, जिससे बाजार के परिदृश्य को लेकर निवेशकों की चिंता बढ़ गई है. दूसरी तिमाही के नतीजों के अनुसार निफ्टी ईपीएस (प्रति शेयर आय) वृद्धि वित्त वर्ष 25 में 10 प्रतिशत से नीचे जा सकती है, जिससे वित्त वर्ष 25 की अनुमानित आय के लगभग 24 गुना के मौजूदा मूल्यांकन को बनाए रखना मुश्किल हो जाएगा. एफआईआई इस कठिन आय वृद्धि के माहौल में बिकवाली जारी रख सकते हैं, जिससे बाजार में किसी भी तेजी पर रोक लग सकती है.
तकनीकी कारक : विशेषज्ञों का कहना है कि भारतीय शेयर बाजार ने नकारात्मक गति को तोड़ने के लिए हाल ही में कई प्रयास किए हैं, लेकिन नए ट्रिगर्स की कमी के कारण यह विफल रहा है.