नई दिल्ली:कोविड के चरम के दौरान नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) ने फेशियल रिकग्निशन के जरिए आधार-बेस्ड पेमेंट शुरू किया था, लेकिन एक साल बाद भी यह लागू नहीं हो पाया है. इसे उन बड़े सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने अब तक लागू नहीं किया है, जिनके पास लाखों ग्राहक हैं. इन बैंकों में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया और बैंक ऑफ इंडिया शामिल हैं.
ये बैंक चाहते हैं कि आधार का एडमिनिस्ट्रेटर इस सर्विस का डेस्कटॉप या लैपटॉप वर्जन बनाए.द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक इस संबंध में बैंकिंग उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, " फेशियल रिकग्निशन के माध्यम से पेमेंट की सर्विस इसलिए शुरू नहीं हुई है, क्योंकि वर्तमान में केवल 23 बैंक ही यह सेवा दे रहे हैं. साथ ही सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों ने वेब-बेस्ड सोल्यूशन की मांग की है, जिसे UIDAI अभी भी विकसित कर रहा है."
वर्तमान में यूनीक आइडेंटिफिकेशन ऑथोरिटी ऑफ इंडिया (UIDAI) ने फेशियल रिकग्निशन से पेमेंट करने की अनुमति देने के लिए एक मोबाइल एप्लिकेशन डेवलप किया है. चूंकि पीएसयू बैंकों ने कियोस्क बैंकिंग में भारी निवेश किया है, इसलिए वे चाहते हैं कि UIDAI एक वेब- बेस्ड सोल्यूशन पेश करे.
पेमेंट के अन्य तरीकों से सस्ता है फेशियल रिकग्निशन
एक अन्य बैंकिंग अधिकारी ने कहा, "एसबीआई कियोस्क बैंकिंग क्षेत्र में सबसे बड़ा प्लेयर है. विशुद्ध रूप से लॉजिस्टिक्स और लागत के दृष्टिकोण से, फेस ऑथेंटिकेशन अधिक सेंस वाला माना जाता है, यह भुगतान के अन्य तरीकों की तुलना में बहुत सस्ता है. अंगूठे के निशान स्कैन या आईरिस स्कैनर के विपरीत फेस ऑथेंटिकेशन के माध्यम से किए गए लेन-देन के लिए किसी हार्डवेयर की आवश्यकता नहीं होती है."