हैदराबाद: भारत सरकार नौकरीपेशा लोगों के लिए भविष्य निधि के रूप में कई योजना संचालित कर रही है, जिसका उद्देश्य कर्मचारियों को वित्तीय सुरक्षा देना है. कर्मचारियों को नौकरी के दौरान इन योजनाओं में अंशदान के रूप में निवेश करना होता है. रिटायरमेंट पर कर्मचारियों को एकमुश्त रकम मिल जाती है, जिससे वे खुशहाल जीवन जी सकते हैं.
भविष्य निधि योजनाओं में मुख्य रूप से, कर्मचारी भविष्य निधि (EPF), सामान्य भविष्य निधि (GPF) और लोक भविष्य निधि (PPF) शामिल हैं. कर्मचारियों के सुरक्षित भविष्य के लिए ये योजनाएं हैं. कर्मचारी को हर महीने वेतन का एक हिस्सा भविष्य निधि खाते में अंशदान के रूप में जमा करना पड़ता है. सरकार हर साल जमा भविष्य निधि पर एक निर्धारित ब्याज भी देती है.
कर्मचारी भविष्य निधि यानी ईपीएफ क्या है?
कर्मचारी भविष्य निधि योजना निजी क्षेत्र में नौकरी करने वाले कर्मचारियों के लिए है. केंद्र सरकार के श्रम मंत्रालय के अधीन कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा इसका संचालन किया जाता है. कर्मचारी भविष्य निधि अधिनियम 1952 के तहत अगर किसी कंपनी या कॉर्पोरेट संस्था में 20 से अधिक कर्मचारी है, तो उन्हें अपने कर्मचारियों को ईपीएफ और अन्य सेवानिवृत्ति लाभ देना जरूरी है.
नियम के अनुसार, हर कर्मचारी को अपनी बेसिक सैलरी (मूल वेतन) और महंगाई भत्ता का 12 प्रतिशत हिस्सा (जिसकी अधिकतम सीमा 15,000 रुपये तय की गई है) हर महीने भविष्य निधि खाते में जमा करना होता है और कंपनी को भी उतनी ही राशि कर्मचारी के खाते में डालनी पड़ती है. कंपनी की अंशदान राशि 12 प्रतिशत का 8.33 प्रतिशत कर्मचारी पेंशन योजना (ईपीएस) में जमा होता है, और बाकी 3.67 प्रतिशत हिस्सा ईपीएफ में जाता है.
हालांकि, सरकार ने हाल ही नियोक्ता और कर्मचारी दोनों के लिए ईपीएफ योगदान को घटाकर 10% कर दिया है. वहीं, सरकार ने वित्त वर्ष 2024-25 के लिए ईपीएफ के लिए ब्याज दर 8.25 फीसदी निर्धारित की है.