बजट 2024: देश में पेश हो चुके हैं ब्लैक से लेकर रोलबैक बजट, जानिए क्या है खासियत - Union Budget 2024
Union Budget 2024- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण 23 जुलाई को बजट 2024 पेश करेंगी. वैसे तो देश में हर साल बजट पेश किया जाता है. लेकिन नमें कुछ ऐसे हैं जिन्होंने देश की इकॉनमी की दिशा और दशा बदलकर रख दिया. जानिए देश के कुछ ऐतिहासिक बजटों के बारे में. पढ़ें पूरी खबर...
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार 18वीं लोकसभा के चुनाव के बाद अपने तीसरे कार्यकाल में पहला पूर्ण केंद्रीय बजट 2024 पेश करेगी. इसमें अगले पांच वर्षों के लिए रोडमैप तैयार किया जाएगा. वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा पेश पिछला बजट अप्रैल से मई तक होने वाले आम चुनावों के कारण वोट ऑन अकाउंट था.
बता दें कि बजट का इतिहास स्वतंत्रता से पहले के समय से जुड़ा है. जब ईस्ट इंडिया कंपनी के स्कॉटिश अर्थशास्त्री और राजनीतिज्ञ जेम्स विल्सन ने 7 अप्रैल, 1860 को ब्रिटिश क्राउन के सामने इसे पेश किया था. हालांकि, अगर कोई आजादी के बाद देश के पहले बजट की बात करे तो 26 नवंबर 1947 को तत्कालीन वित्त मंत्री आर के शानमुखम चेट्टी ने पेश किया था.
अब तक पेश हुए आइकॉनिक बजट
ब्लैक बजट-बजट ब्लैक बजट इंदिरा गांधी सरकार के दौरान वर्ष 1973-74 में यशवंतराव बी चव्हाण द्वारा केंद्रीय बजट पेश किया गया था. पीटीआई के अनुसार, उस वर्ष 550 करोड़ रुपये के उच्च राजकोषीय घाटे के कारण इसे ब्लैक बजट कहा गया था. उस समय देश गंभीर वित्तीय कठिनाइयों से गुजर रहा था.
कैरेट एंड स्टिक बजट- तत्कालीन वित्त मंत्री वीपी सिंह ने 1986 के केंद्रीय बजट को 'कैरेट एंड स्टिक बजट' बजट कहा गया था. क्योंकि यह भारत में लाइसेंस राज को खत्म करने की दिशा में पहला कदम था. 1986 में प्रस्तुत बजट ने अपनी दोहरी प्रकृति के कारण यह नाम पाया था. एक ओर, सरकार ने उपभोक्ताओं को भुगतान किए जाने वाले टैक्स के प्रभाव को कम करने के लिए MODVAT (संशोधित मूल्य वर्धित कर) क्रेडिट पेश किया. दूसरी ओर, इसने तस्करों, कालाबाजारियों और कर चोरों के खिलाफ एक अभियान भी चलाया.
1991 का युगांतकारी बजट-साल 1991 में केंद्र सरकार द्वारा शुरू किए गए आर्थिक सुधारों ने इसे अब तक पेश किए गए सबसे प्रतिष्ठित बजटों में से एक बना दिया. 1991 में मनमोहन सिंह द्वारा प्रस्तुत, बजट लाइसेंस राज को समाप्त किया था. इसके अलावा, इसने उदारीकरण का युग भी लाया. इसलिए इसे 'युगांतकारी बजट' के रूप में जाना जाता है. यह बजट ऐसे समय में पेश किया गया था जब भारत आर्थिक पतन के कगार पर था. उस साल सरकार ने सीमा शुल्क को 220 फीसदी से घटाकर 150 फीसदी कर दिया और निर्यात को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाए.
ड्रीम बजट-पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम ने 1998 में केंद्रीय बजट पेश करते हुए टैक्स में कटौती की घोषणा की थी. उन्होंने व्यक्तियों के लिए अधिकतम सीमांत आय दर को 40 फीसदी से घटाकर 30 फीसदी और घरेलू कंपनियों के लिए 35 फीसदी कर दिया था. इसके अलावा सरकार ने काले धन की वसूली के लिए वॉलंटरी इनकम डिस्क्लोजर योजना की भी घोषणा की. सरकार ने सीमा शुल्क को भी घटाकर 40 फीसदी कर दिया.
मिलेनियम बजट-यशवंत सिन्हा के पेश किए गए केंद्रीय बजट ने देश के सूचना प्रौद्योगिकी (आईटी) उद्योग के विकास के लिए रोडमैप प्रस्तुत किया. भारतीय क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए, इसने सॉफ्टवेयर निर्यातकों पर प्रोत्साहन को भी समाप्त कर दिया और कंप्यूटर और कंप्यूटर सहायक उपकरण जैसी 21 वस्तुओं पर सीमा शुल्क कम कर दिया.
रोलबैक बजट-वर्ष 2002-03 में एनडीए सरकार के दौरान यशवंत सिन्हा के प्रस्तुत बजट को रोलबैक बजट के नाम से जाना जाता था. अटल बिहारी वाजपेयी सरकार द्वारा कई प्रस्तावों और नीतियों को वापस लेने के कारण इसे यह नाम मिला.
सदी में एक बार का बजट- वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण का 2021 का केंद्रीय बजट निजीकरण, मजबूत कर संग्रह और बुनियादी ढांचे और स्वास्थ्य सेवा में निवेश पर अपने बढ़े हुए फोकस के कारण सदी में एक बार का बजट के रूप में लोकप्रिय है.