नई दिल्ली:अडाणी से जुड़े ऑफशोर फंड मामले में सेबी की चेयरपर्सन माधवी पुरी बुच ने रविवार को आरोपों पर 15-सूत्रीय स्पष्टीकरण जारी किया है. इसमें कहा गया कि आईपीई-प्लस फंड का सीआईओ उनके पति धवल बुच का बचपन का दोस्त है. बता दें कि सेबी अडाणी से जुड़े ऑफशोर फंड में निवेश करने के लिए व्हिसलब्लोअर हिंडनबर्ग की आलोचना का सामना कर रही है.
माधवी पुरी बुच का स्पष्टीकरण
बुच परिवार ने एक बयान में कहा कि इस फंड में निवेश करने का फैसला इसलिए किया गया क्योंकि मुख्य निवेश अधिकारी अनिल आहूजा, धवल के बचपन के दोस्त हैं, जो स्कूल और आईआईटी दिल्ली से हैं. सिटीबैंक, जेपी मॉर्गन और 3आई ग्रुप पीएलसी के पूर्व कर्मचारी होने के नाते, उनके पास कई दशकों का मजबूत निवेश करियर था. निवेश निर्णय के पीछे इन्हीं लोगों की भूमिका थी. यह इस तथ्य से पता चलता है कि जब 2018 में अनिल आहूजा ने फंड के सीआईओ के रूप में अपना पद छोड़ा, तो हमने उस फंड में निवेश को रिडीम कराया.
बुच ने कहा कि जैसा कि आहूजा ने पुष्टि की है, किसी भी समय फंड ने किसी भी अडाणी समूह की कंपनी के किसी भी बॉन्ड, इक्विटी या डेरिवेटिव में निवेश नहीं किया.
एक अलग बयान में, 360 WAM, जिसने ऑफशोर फंड चलाया. बुच ने भी कहा कि उसने किसी भी फंड के माध्यम से डायरेक्ट या इनडायरेक्ट रूप से अडाणी समूह के किसी भी शेयर में शून्य निवेश किया.
सेबी प्रमुख ने कहा कि फंड में निवेश 2015 में किया गया था, जब वे दोनों सिंगापुर में रहने वाले निजी नागरिक थे और माधवी के सेबी में शामिल होने से लगभग 2 साल पहले, यहां तक कि पूर्णकालिक सदस्य के रूप में भी.
हिंडनबर्ग की रिपोर्ट में ब्लैकस्टोन में धवल की नियुक्ति और माइंडस्पेस और नेक्सस सेलेक्ट ट्रस्ट के ब्लैकस्टोन समर्थित REIT IPO को सेबी की मंजूरी पर भी सवाल उठाए गए हैं.