नई दिल्ली:सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र से कहा कि जीएसटी बकाया के लिए धमकी और जबरदस्ती न करें, देनदारी स्वेच्छा से चुकाई जानी चाहिए. कोर्ट ने कहा कि वह स्वेच्छा से बकाया चुकाने के लिए अनुनय का इस्तेमाल करे और जीएसटी की वसूली के लिए व्यापारियों के खिलाफ तलाशी और जब्ती अभियान चलाते समय धमकी और जबरदस्ती का इस्तेमाल करने से बचें.
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना की अगुवाई वाली तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू से कहा कि जीएसटी अधिनियम के तहत तलाशी और जब्ती के दौरान किसी भी व्यक्ति को कर देनदारी का भुगतान करने के लिए मजबूर करने की कोई शक्ति नहीं है. विभाग से कहा गया है कि भुगतान स्वेच्छा से किया जाना चाहिए और कोई बल प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए.
आपको कथित अपराधी को परामर्श करने, सोचने और दायित्व को स्पष्ट करने के लिए तीन-चार दिन का समय देना होगा. यह स्वैच्छिक होना चाहिए और इसमें किसी भी तरह की धमकी या जबरदस्ती का इस्तेमाल नहीं होना चाहिए. पीठ ने कहा कि जिसमें न्यायमूर्ति एमएम सुंदरेश और बेला एम त्रिवेदी भी शामिल थे.
शीर्ष अदालत 281 याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिन्होंने जीएसटी अधिनियम, सीमा शुल्क अधिनियम और धन शोधन निवारण अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों को चुनौती दी है. सुनवाई के दौरान पीठ ने कहा कि कई याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों ने तलाशी और जब्ती अभियान के दौरान जबरदस्ती का इस्तेमाल किया. राजू ने स्पष्ट किया कि अतीत में कुछ उदाहरण रहे होंगे लेकिन यह आदर्श नहीं है.