नई दिल्ली:एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को दिवालिया एवं दिवालियापन संहिता (आईबीसी) के अनुसार बंद पड़ी एयर कैरियर जेट एयरवेज को बंद करने का आदेश दिया. यह फैसला भारत के मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सुनाया. इस पीठ में सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा शामिल थे.
सर्वोच्च न्यायालय ने राष्ट्रीय कंपनी विधि अपीलीय न्यायाधिकरण (एनसीएलएटी) के उस फैसले को खारिज कर दिया, जिसमें जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखा गया था. इसके स्वामित्व को जालान कलरॉक कंसोर्टियम (जेकेसी) को हस्तांतरित करने को मंजूरी दी गई थी.
सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि एनसीएलएटी का आदेश गलत है, क्योंकि इसमें रिकॉर्ड पर मौजूद साक्ष्यों को गुमराह किया गया है, क्योंकि 150 करोड़ रुपये की प्रदर्शन बैंक गारंटी को 350 करोड़ रुपये के भुगतान के विरुद्ध समायोजित नहीं किया जा सकता था. न्यायमूर्ति पारदीवाला ने पीठ की ओर से फैसला सुनाते हुए एसबीआई और अन्य लेनदारों की याचिका स्वीकार कर ली, जिन्होंने एनसीएलएटी के फैसले के खिलाफ शीर्ष अदालत का रुख किया था, जिसने जेकेसी के पक्ष में जेट एयरवेज की समाधान योजना को बरकरार रखा था.
पीठ ने कहा कि जेकेसी ने समाधान योजना की शर्तों का उल्लंघन किया है और इसे लागू नहीं किया जा सकता. पीठ ने कहा कि मूल चिंता पर्याप्त न्याय करना नहीं है, बल्कि विवाद का त्वरित निपटान भी है और कहा कि समाधान योजना के निर्धारण का उल्लंघन किया गया है. पीठ ने कहा कि चूंकि समाधान योजना को लागू करना संभव नहीं है, इसलिए हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि कॉरपोरेट लेनदार के लिए परिसमापन एक विकल्प बना रहे.