Global Renewable Energy Investors- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इनवेस्ट 2024) के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया. पढ़ें पूरी खबर...
वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक (IANS Photo)
नई दिल्ली:प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार (16 सितंबर, 2024) को गांधीनगर में ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी निवेशक सम्मेलन और एक्सपो (री-इनवेस्ट 2024) के चौथे संस्करण का उद्घाटन किया.
वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक (IANS Photo)
इस अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 140 करोड़ भारतीयों ने देश को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनाने का संकल्प लिया है. प्रधानमंत्री ने कहा कि तीसरे कार्यकाल के पहले 100 दिनों में, हमने देश की तीव्र प्रगति के लिए हर क्षेत्र और कारक को संबोधित करने का प्रयास किया है. पीएम मोदी ने कहा कि भारत अगले 1000 सालों के लिए विकास का आधार तैयार कर रहा है और हमारा ध्यान सिर्फ टॉप पर पहुंचने पर नहीं, बल्कि इस स्थान को बनाए रखने पर है. उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया का मानना है कि 21वीं सदी के लिए भारत सबसे अच्छा विकल्प है.
वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक (IANS Photo)
उन्होंने कहा कि हम अयोध्या और 16 अन्य स्थानों को मॉडल सौर शहरों के रूप में विकसित करने के लिए काम कर रहे हैं. पीएण ने गांधीनगर के वावोल क्षेत्र में 'पीएम सूर्य घर: मुफ्त बिजली योजना' के लाभार्थियों से भी बातचीत की.
ग्लोबल रिन्यूएबल एनर्जी इन्वेस्टर्स मीट एंड एक्सपो (री-इनवेस्ट 2024) के चौथे संस्करण में लगभग 40 सत्र होंगे, जिनमें एक मुख्यमंत्रियों की पूर्ण बैठक, एक सीईओ गोलमेज और तकनीकी सत्र शामिल हैं.
वैश्विक अक्षय ऊर्जा निवेशक (IANS Photo)
री-इन्वेस्ट 2024- मिशन 500 गीगावाट री-इन्वेस्ट 2024 का मुख्य विषय "मिशन 500 गीगावाट" है, जो 2030 तक अपनी अक्षय ऊर्जा क्षमता का उल्लेखनीय विस्तार करने के भारत के लक्ष्य पर प्रकाश डालता है. स्थापित अक्षय ऊर्जा क्षमता में वैश्विक स्तर पर चौथे सबसे बड़े देश के रूप में, भारत का लक्ष्य वैश्विक ऊर्जा संक्रमण में अपने नेतृत्व को मजबूत करना है.
अंतर्राष्ट्रीय और भारतीय भागीदारी आयोजन के लिए अंतर्राष्ट्रीय भागीदारों में ऑस्ट्रेलिया, डेनमार्क, जर्मनी और नॉर्वे शामिल हैं. आंध्र प्रदेश, गुजरात, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, राजस्थान, कर्नाटक और उत्तर प्रदेश जैसे भारतीय राज्य भी भाग लेंगे. जर्मनी और डेनमार्क के मंत्रियों सहित अमेरिका, ब्रिटेन, बेल्जियम, यूरोपीय संघ, ओमान, यूएई, सिंगापुर और हांगकांग के उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल इसमें शामिल होंगे.