नई दिल्ली:लोकसभा चुनावों में कम बहुमत के बावजूद, मोदी 2.0 का नीतिगत एजेंडा (निवेश-आधारित विकास, पूंजीगत खर्च, बुनियादी ढांचे का निर्माण, विनिर्माण) जारी रहने की उम्मीद है, हालांकि कुछ बदलावों के साथ. सरकार से यह उम्मीद की जा रही है कि ग्रामीण तनाव को दूर करने और मार्जिनल क्षेत्रों में भावनाओं को ऊपर उठाने के लिए कुछ लोकलुभावन उपायों का विकल्प चुनेगी.
पूंजीगत खर्च और निवेश-आधारित विकास पर व्यापक जोर जारी रहेगा. आगे के एजेंडे में पिरामिड के निचले स्तर पर खपत को पुनर्जीवित करने के उपाय, टैक्सेशन उपायों में कुछ राहत और वास्तव में जीएसटी संरचना में रेशनलाइजेशन भी शामिल हो सकता है.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने क्या कहा?
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने कहा कि हमारा मानना है कि यह एक संतुलित आर्थिक विकास मॉडल का अनुसरण करेगी. इसका अर्थ निवेश और उपभोग वृद्धि पर समान जोर हो सकता है. यह उजागर किया जाना चाहिए कि यह दृष्टिकोण सरकार के पहले के रुख के विपरीत होगा, जो मुख्य रूप से बुनियादी ढांचे के विकास पर केंद्रित था.
एचडीएफसी सिक्योरिटीज ने यह भी कहा कि उनकी राय में, सरकार वित्तीय रूप से विवेकपूर्ण रहेगी और किसी भी बड़े लोकलुभावन उपाय का सहारा नहीं लेगी, जिसे बाजार सकारात्मक रूप से मानेगा. हमारा मानना है कि गठबंधन राजनीति की गतिशीलता को देखते हुए, बुनियादी ढांचे के निर्माण और सुधारों पर जोर जारी रहेगा. ये अलग बात है कि उसकी गति थोड़ी धीमी हो सकती है.
आगामी बजट में सामाजिक योजनाओं के लिए खर्च का कुछ पुनर्वितरण अपेक्षित है. इसके अलावा, हम निजी पूंजीगत खर्च में मंदी देख सकते हैं. क्योंकि कंपनियां केंद्र में किसी भी राजनीतिक अनिश्चितता की स्थिति में बड़े निवेश को स्थगित कर सकती हैं.
भाजपा के नेतृत्व वाला एनडीए गठबंधन चुनाव पूर्व गठबंधन है. इसलिए सरकार गठन की कवायद में कम दबाव हो सकता है. हालांकि, लगातार दो बार बहुमत के बाद, गठबंधन सरकार वापसी कर रही है. कहा जा रहा है कि, 1998 से 2004 की पिछली एनडीए गठबंधन सरकारों के विपरीत, जिसमें भाजपा के पास 182 सीटों के साथ 15 से अधिक थे. इस गठबंधन में 240 सीटों के साथ कम होंगे. इस प्रकार संभावित रूप से शासन के लिए अधिक सहज दृष्टिकोण होगा.