नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने गुरुवार1 फरवरी को अपने बजट 2024 भाषण में कहा कि सरकार को उम्मीद है कि वित्तीय वर्ष 2024-2025 (FY25) के लिए राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 5.1 प्रतिशत होगा. FY25 में राजकोषीय घाटे को वित्तपोषित करने के लिए, 2024-25 के दौरान दिनांकित प्रतिभूतियों के माध्यम से सकल और शुद्ध बाजार उधार क्रमशः 14.13 और 11.75 लाख रुपये करोड़ होने का अनुमान है.
सीतारमण ने आगे कहा कि हम राजकोषीय सुदृढ़ीकरण के पथ पर आगे बढ़ रहे हैं, जैसा कि 2021-22 के लिए मेरे बजट भाषण में घोषणा की गई थी, ताकि 2025-26 तक राजकोषीय घाटे को 4.5 प्रतिशत से कम किया जा सके. 2024-25 में राजकोषीय घाटा सकल घरेलू उत्पाद का 5.1 प्रतिशत होने का अनुमान है.
जीएसटी ने अनुपालन बोझ कम किया : अप्रत्यक्ष करों के बारे में श्रीमती निर्मला सीतारमण ने कहा कि जीएसटी ने भारत में बहुत बंटी हुई अप्रत्यक्ष व्यवस्था को एकीकृत करके उद्योग और व्यापार पर अनुपालन बोझ कम किया है. एक अग्रणी परामर्शदाता फर्म द्वारा अभी हाल में किए गए एक सर्वेक्षण के अनुसार यह बताया गया है कि 94 प्रतिशत उद्योग प्रमुख जीएसटी में हुए परिवर्तन को व्यापक रूप से सकारात्मक मानते हैं. अपने अंतरिम बजट भाषण में उन्होंने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि जीएसटी का कराधान बढ़कर दोगुने से अधिक हो गया है.
औसत मासिक सकल जीएसटी संग्रहण इस वर्ष लगभग दोगुणा बढ़कर 1.66 लाख करोड़ रुपए हो गया है. इससे राज्यों को भी लाभ मिला है. राज्यों को जारी किए गए मुआवजे सहित राज्यों के एसजीएसटी राजस्व का तेज उछाल वर्ष 2017-18 से 2022-23 तक जीएसटी के बाद की अवधि में 1.22 रहा है. उन्होंने कहा कि इसके सबसे बड़े लाभार्थी उपभोक्ता हैं क्योंकि लॉजिस्टिक लागत और करों में कटौती से अधिकांश वस्तुओं और सेवाओं के मूल्यों में कमी आई है.