नई दिल्ली:भारत आने वाले वर्षों में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनना चाहता है. ऐसे में भारत को इस मुकाम को हासिल करने में सेमीकंडक्टर, सैटेलाइट कम्युनिकेशन और मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग ही योगदान करेंगी. इन तीन टेक्नोलॉजी से सामूहिक रूप से अगले पांच सालों में देश की अर्थव्यवस्था में लगभग 240 बिलियन डॉलर जोड़ने की उम्मीद है और वित्त वर्ष 2028 तक हमारे सकल घरेलू उत्पाद में लगभग 1.6 फीसदी का अतिरिक्त योगदान देने का अनुमान है.
इन तीन क्षेत्रों में विकास से बढ़ेगा भारत
भारत इलेक्ट्रॉनिक्स में असेंबलर से समग्र, एकीकृत, एंड-टू-एंड निर्माता बनने की दिशा में अपनी शक्ति का प्रदर्शन कर रहा है. बैकवर्ड और फॉरवर्ड एकीकरण के माध्यम से, भारतीय कंपनियां ऐसे क्षेत्र विकसित कर रही हैं जो देश को असेंबली संचालन से आगे बढ़ने में मदद करेंगे. भारत में डिजिटल अर्थव्यवस्था सूचना और संचार प्रौद्योगिकी (आईसीटी) क्षेत्र के निरंतर विकास द्वारा संचालित, तेजी से विकास पथ पर है. ये सब के मदद से भारत वैश्विक डिजिटल नेता बनने के अपने लक्ष्य को प्राप्त कर सकती है. भारत ने 4जी में दुनिया का पालन किया, 5जी में दुनिया के साथ आगे बढ़ा और अब 6जी में दुनिया का नेतृत्व करने का लक्ष्य है.
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में आगे बढ़ रहा भारत
सेमीकंडक्टर क्षेत्र में, मोदी सरकार भारत को वैश्विक सेमीकंडक्टर आपूर्ति श्रृंखला के केंद्र में लाने के लिए काम कर रही है और विश्व स्तर पर कुछ सबसे आकर्षक प्रोत्साहन की पेशकश कर रही है. कुल मिलाकर, भारत सेमीकंडक्टर्स और संबंधित उद्योगों के लिए 30 अरब डॉलर की सहायता की पेशकश कर रहा है.
भारत में मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग
मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग की बात करें तो 2017 में ही Apple ने पेगाट्रॉन, फॉक्सकॉन और विंस्ट्रॉन के माध्यम से भारत में iPhone बनाना शुरू किया था और 18 अप्रैल 2023 को ही Apple ने मुंबई में अपना पहला स्टोर खोला था. सबसे पहला Apple उत्पाद जो भारत में बिक्री के लिए उपलब्ध था, वह 1998 में मैकिनटोश कंप्यूटर था. वैसें तो Apple को भारत में स्टोर खोलने में 25 साल लग गए, लेकिन अच्छी खबर यह है कि मुंबई और दिल्ली में Apple के स्टोर विभिन्न कारणों से भारत के लिए एक बड़ी बात हैं. दो साल पहले तक Apple के 90 फीसदी से अधिक iPhones का उत्पादन/असेंबली चीन में होता था, लेकिन अब भारत के पक्ष में स्पष्ट बदलाव दिख रहा है.
हाल ही में आईसीईए ने रिपोर्ट जारी कर बताया कि भारत में मोबाइल फोन मैन्युफैक्चरिंग 10 सालों में 21 गुना बढ़कर 4.1 लाख करोड़ रुपये हो गया है. वित्त वर्ष 2014-15 में भारत से मोबाइल फोन का निर्यात महज 1,556 करोड़ रुपये था, जिसकी 2023-24 के अंत तक 1,20,000 करोड़ रुपये के अनुमानित निर्यात की उम्मीद है. कई कंपनियां मोबाइल फोन और कंपोनेंट दोनों का प्रोडक्शन करने के लिए देश के भीतर मैन्युफैक्चरिंग यूनिट स्थापित कर रही हैं.
भारतीय मोबाइल ब्रांडों की बात करें तो कई है. लेकिन ये कंपनियां अभी भी टॉप स्मार्टफोन बनाने वाली कंपनियों से काफी पीछे है. आज इस खबर के माध्यम से जानते है भारत में मैन्युफैक्चर होने वाले फोन को या ये भी कह सकते है कि भारतीय मोबाइल ब्रांडों और भारत में निर्मित स्मार्टफोन.
माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स-माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स उपभोक्ता इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादों का सबसे बड़ा भारतीय निर्माता है. विशेष रूप से, यह फर्म साइनोजन इंक के साथ YU टेलीवेंचर नामक एक अन्य भारतीय स्मार्टफोन ब्रांड की सह-मालिक भी है.
ये टॉप माइक्रोमैक्स इंफॉर्मेटिक्स स्मार्टफोन
- माइक्रोमैक्स कैनवस इन्फिनिटी
- माइक्रोमैक्स भारत 4
- माइक्रोमैक्सीवन
- माइक्रोमैक्स X930
कार्बन मोबाइल-कार्बन मोबाइल भी एक अग्रणी भारतीय स्मार्टफोन निर्माता है जिसकी श्रीलंका और नेपाल के साथ-साथ मध्य पूर्व सहित कई पड़ोसी देशों में उपस्थिति है. यह यूटीएल समूह और जैना समूह के बीच एक संयुक्त उद्यम है.
ये है टॉप कार्बन मोबाइल स्मार्टफोन
- कार्बन स्पार्कल वी
- कार्बन K9 विराट
- कार्बन टाइटेनियम मुगल
- कार्बन K9 कवच
लावा- लावा एक समय भारत में निर्मित अपने कई मोबाइल फोन मॉडलों के लिए काफी लोकप्रिय ब्रांड था. हालांकि, भारतीय बाजार में विभिन्न चीनी स्मार्टफोन के प्रवेश के बाद स्मार्टफोन निर्माता के कारोबार में भारी गिरावट देखी गई. हालांकि, कई लोगों का अनुमान है कि मौजूदा परिस्थितियों को देखते हुए कंपनी जल्द ही अच्छी वापसी कर सकती है.
ये है टॉप लावा स्मार्टफोन
- लावा Z60 गोल्ड
- लावा Z91
- लावा पिक्सेल V2
- लावा आइरिस प्रो 30