नई दिल्ली:रिलायंस इंडस्ट्रीज लिमिटेड (आरआईएल) ने मनोरंजन क्षेत्र में एक मेगा-डील हासिल कर ली है. इस डील से 70,000 करोड़ रुपये का रिलायंस-नियंत्रित संयुक्त उद्यम (जेवी) भी स्थापित होगा जो वायकॉम 18 और स्टार इंडिया के मीडिया व्यवसायों को जोड़ता है. रिलायंस अपनी विकास रणनीति को बढ़ावा देने के लिए उद्यम में 11,500 करोड़ रुपये का निवेश भी करेगी. इस डील से पहले रिलायंस ने वॉल्ट डिजनी के भारत के कारोबार को 3 बिलियन डॉलर आंका है, जबकि पहले अनुमान 15 बिलियन डॉलर तक का था.
देश की सबसे बड़ी मीडिया
विशेषज्ञों को मानना है कि रिलायंस की सहायक कंपनी वायकॉम18 और वॉल्ट डिजनी कंपनी की स्थानीय इकाई स्टार इंडिया के विलय का सौदा देश में सबसे बड़ी मीडिया इकाई बनाकर मीडिया और मनोरंजन क्षेत्र में महत्वपूर्ण बदलाव लाएगा.
बता दें कि 70,352 करोड़ रुपये (8.5 बिलियन डॉलर) की विलय वाली इकाई, जिसमें आरआईएल 11,500 करोड़ रुपये लगाएगी. जिसकी दर्शक हिस्सेदारी 40 फीसदी से अधिक होगी. इससे यह प्रीमियम विज्ञापन रेट और एवरेज कंज्यूमर रेवेन्यू पर यूजर (एआरपीयू) को सुरक्षित करने में सक्षम होगी.
जी एंटरटेनमेंट एंटरप्राइजेज और सोनी पिक्चर्स नेटवर्क्स इंडिया के विलय में विफलता से स्टार-वायकॉम18 को फायदा होने की उम्मीद है, अगर सोनी-जी का विलय होता तो उसे एकाधिकार से जूझना पड़ता.
इस डील से अन्य टेलीकॉम क्षेत्र पर पड़ेगा असर
- विशेषज्ञों का कहना है कि इस सौदे का असर टेलीकॉम क्षेत्र पर भी पड़ सकता है, रिलायंस जियो की प्रतिद्वंद्वी भारती एयरटेल को अपनी सामग्री पेशकश बढ़ाने के लिए दबाव का सामना करना पड़ेगा. उद्योग के अनुमान के मुताबिक, टेलीकॉम ऑपरेटर्स कंटेंट खरीदने पर 2,000 से 3,000 करोड़ रुपये खर्च करते हैं.
- इस डील से टेलीकॉम खिलाड़ियों के लिए नकारात्मक है क्योंकि इससे रिलायंस जियो को सामग्री तक बेहतर पहुंच मिलेगी.
- विलय संभावित रूप से विज्ञापनदाताओं के लिए भी थोड़ा नकारात्मक है क्योंकि विलय की गई इकाई की पावर अधिक होगी.
- संयुक्त इकाई में डिजनी, एनबीसी यूनिवर्सल, पैरामाउंट ग्लोबल और एचबीओ से प्रीमियम अंग्रेजी सामग्री होगी - जो इसे प्रीमियम ओवर-द-टॉप (ओटीटी) सेगमेंट में नेटफ्लिक्स और प्राइम वीडियो को टक्कर देगी.
मीडिया के शहंशाह
फिल्मों और टीवी शो की लगभग 200,000 घंटे की सामग्री के अलावा, स्टार-वायकॉम18 के पास इंडियन प्रीमियर लीग, अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट काउंसिल और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड सहित सभी प्रमुख क्रिकेट संपत्तियों पर विशेष अधिकार होंगे.