नई दिल्ली: वर्तमान में, दो कर व्यवस्थाएं उपलब्ध हैं. एक ओल्ड टैक्स रिजीम और दूसरी नई कर व्यवस्था.आयकर विभाग लोगों को किसी विशेष वित्तीय वर्ष के लिए अपनी पसंदीदा आयकर व्यवस्था चुनने की अनुमति देता है, जिसमें व्यक्ति के पेशे या टैक्स रेगूलेशन में उल्लिखित स्पेसिफिक क्राइटेरिया के आधार पर स्विच करने की अनुमति होती है.
हालांकि, टैक्सपेयर्स अक्सर अपने लिए उपयुक्त आयकर व्यवस्था चुनते वक्त दुविधा में रहते हैं. ऐसे में अगर आप भी पुरानी और नई रिजीम में आना चाहते हैं तो अब आप आसानी ने पुराने से नए टैक्स रिजीम में स्वीच कर सकते हैं. पुरानी व्यवस्था और नई व्यवस्था के बीच स्विच करने के लिए आपको कुछ शर्तें पूरी करनी होती हैं.
सही कर व्यवस्था चुनें
उचित कर व्यवस्था चुनना एक महत्वपूर्ण निर्णय है. इसके लिए आपको अपनी वित्तीय परिस्थितियों और उद्देश्यों का मूल्यांकन करना होगा. ब्रेक-ईवन प्वाइंट, जिस पर दोनों व्यवस्थांए तुलनीय लाभ प्रदान करती हैं, आय के स्तर के आधार पर अलग होती है.
पुरानी व्यवस्था 80C, हाउस रेंट अलाउंस (HRA) और लीव ट्रैवल अलाउंस (LTA) जैसी श्रेणियों के तहत कई कटौती और छूट प्रदान करती है, जो योग्य व्यय वाले लोगों के लिए फायदेमंद हो सकती है. अगर आपने टैक्स-सेविंग साधनों में निवेश किया है, तो पारंपरिक व्यवस्था अधिक फायदेमंद साबित हो सकती है.
इसके विपरीत, नई व्यवस्था एक सरल कर संरचना प्रदान करती है, लेकिन इसके लिए सावधानीपूर्वक वित्तीय नियोजन की आवश्यकता होती है, क्योंकि कर-बचत निवेश अनुकूल परिणाम नहीं दे सकते हैं.