मुंबई:देश में करीब 97619 बैंक हैं. इनमें सबसे ज्यादा 96000 ग्रामीण सहकारी बैंक और 1485 शहरी सरकारी बैंक हैं. इसके अलावा देश में 12 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक, 22 निजी क्षेत्र के बैंक, 44 विदेशी बैंक और 56 क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक हैं. लेकिन ज्यादातर लोग अपनी जमा-पूंजी बड़े बैंकों, खासकर सरकारी बैंकों में ही रखना पसंद करते हैं.
- अगर देश के सबसे बड़े बैंक की बात करें तो वह एचडीएफसी बैंक है, उसके बाद आईसीआईसीआई बैंक आता है, तीसरे नंबर पर देश का सबसे बड़ा सरकारी बैंक एसबीआई है
ज्यादातर लोग बड़े बैंकों में ही खाता खुलवाते हैं और फिक्स्ड डिपॉजिट (एफडी) करते हैं. अगर बड़े बैंकों की गिनती करें तो देश में करीब 80 बैंक हैं. जबकि देश में बैंकों की कुल संख्या करीब 96000 है, तो सवाल उठता है कि क्या छोटे बैंक सुरक्षित नहीं हैं? निवेशक बड़े बैंकों को ही क्यों चुनते हैं? क्या बड़े बैंक छोटे बैंकों से ज्यादा सुरक्षित हैं? क्या छोटे बैंकों में पैसा रखना जोखिम से खाली नहीं है?
बैंक दिवालिया होने के कारण
दरअसल, आज के समय में लगभग सभी के पास अपना बैंक खाता है. लोग अपनी मेहनत की कमाई इन बैंक खातों में रखते हैं और बैंक इस जमा पैसे पर ब्याज देता है. जब बैंक में पैसे जमा होते हैं, तो लोग चिंता मुक्त भी रहते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि अगर बैंक कभी दिवालिया हो जाए या किसी कारण से बंद हो जाए, तो आपके पैसे का क्या होगा? आपको कितने पैसे मिलेंगे? क्या बड़े बैंकों में पैसे रखने पर डूबने की स्थिति में खाताधारक को ज्यादा पैसे मिलते हैं? क्या छोटे बैंकों के लिए दिवालिया होने पर अलग कानून है और क्या निवेशकों को कम पैसे मिलते हैं?
बैंक कब दिवालिया होता है?
जब किसी बैंक की देनदारियां उसकी संपत्तियों से ज्यादा हो जाती हैं और वह इस संकट से निपटने में सक्षम नहीं होता है, तो वह दिवालिया (डिफॉल्ट) हो जाता है. दूसरे शब्दों में, बैंक की कमाई उसके खर्चों से बहुत कम हो जाती है और वह लगातार घाटे में रहता है और इस संकट से उबरने में विफल रहता है, तो ऐसे बैंक को डूबा हुआ माना जाता है और नियामक इस बैंक को बंद करने का फैसला करते हैं.
बैंक के दिवालिया होने की सबसे अहम स्थिति है कर्ज की वसूली न होना. सरल शब्दों में कहें तो जब बैंक के पास अपनी संपत्तियों से ज्यादा देनदारियां हो जाती हैं और निवेशक अपना पैसा निकालने लगते हैं, तो बैंक की वित्तीय स्थिति खराब होती जाती है. वह ग्राहकों के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को भी पूरा नहीं कर पाता. ऐसी स्थिति में बैंक दिवालिया घोषित हो जाता है. इसे बैंक का डूबना कहते हैं.