नई दिल्ली:भारत में सोने का सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व बहुत गहरा है. सोने के आभूषण सिर्फ एक कीमती संपत्ति से कहीं ज्यादा हैं. यह एक निवेश है. यह धन, स्थिति और समृद्धि का प्रतीक भी है और आज भी इसे सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक माना जाता है. कई भारतीय शादियों और त्यौहारों (जैसे दिवाली और अक्षय तृतीया) जैसे पारंपरिक रिचुअल्स के हिस्से के रूप में सोने में निवेश करते हैं. हालांकि खरीदारों को ज्यादातर इस बात की जानकारी नहीं होती कि सोने के आभूषणों पर मेकिंग चार्ज की गणना कैसे की जाती है.
बिहार के रामजी प्रसाद ज्वैलर्स प्राइवेट लिमिटेड के अभिषेक कुमार सोनी बताते है कि कई खरीदार इस बात से अनजान हैं कि सोने के आभूषणों की अंतिम कीमत की गणना कैसे की जाती है. अभिषेक कुमार सोनी ने मेकिंग चार्ज और सोने के आभूषणों की कीमत को प्रभावित करने वाले अन्य कारणों को भी बताया है.
प्रयागराज के तनिष्क ज्वैलर्स के अजमत बताते है कि आभूषण के डिजाइन, प्रकार, आकार और शिल्प के आधार पर मेकिंग चार्ज लगाया जाता है. तनिष्क में सोने के आभूषणों के मेकिंग चार्ज कुल सोने के मूल्य का 8% से 25% तक है.
सोने के आभूषणों की कीमत की गणना करने का फॉर्मूला
अंतिम कीमत = (सोने की कीमत x वजन) + मेकिंग चार्ज + जीएसटी + हॉलमार्किंग शुल्क
- बता दें कि सोने की कीमत उसकी शुद्धता (24KT, 22KT, 18KT, 14KT, आदि) पर निर्भर करती है. अधिक शुद्धता का मतलब है अधिक कीमत.
- ऑथेनसिटी के लिए करने के लिए हॉलमार्किंग शुल्क अनिवार्य है.
- जीएसटी कुल लागत पर लगाया जाता है, जिसमें मेकिंग चार्ज भी शामिल है.
मेकिंग चार्ज को प्रभावित करने वाले कारण