नई दिल्ली: भारत सरकार ने 7वें वेतन आयोग की स्थापना केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन, भत्ते और पेंशन में संशोधन करने के लिए की गई थी. यह 1 जनवरी, 2016 से प्रभावी है. चूंकि 7वें वेतन आयोग ने अपना 10 साल का कार्यकाल पूरा कर लिया है, इसलिए 8वें वेतन आयोग के बारे में चर्चाएं तेज हो गई हैं. इस बीच केंद्रीय मंत्रिमंडल ने भी सरकारी कर्मचारियों के लिए 8वें केंद्रीय वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी.
हालांकि, अभी तक आधिकारिक रूप से इसका गठन नहीं हुआ है, लेकिन उम्मीद है कि यह सरकारी कर्मचारियों के लिए वेतन और पेंशन सुधारों की समीक्षा करेगा और उन्हें सुझाएगा. ऐसे में यह सवाल उठता है कि 8वां वेतन आयोग पिछले पे कमीशन से कितना अलग होगा और दोनों में क्या फर्क होगा?
7वें वेतन आयोग की स्थापना और उद्देश्य
7वें वेतन आयोग की स्थापना 28 फरवरी 2014 को न्यायमूर्ति अशोक कुमार माथुर की अध्यक्षता में की गई थी. इसका प्राथमिक उद्देश्य अखिल भारतीय सेवाओं, केंद्र शासित प्रदेशों और रक्षा बलों जैसी विभिन्न सेवाओं में कार्यरत केंद्रीय सरकारी कर्मचारियों के वेतन ढांचे की समीक्षा करना और उसमें बदलाव की सिफारिश करना था. आयोग का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना था कि वेतन वर्तमान आर्थिक स्थितियों, मुद्रास्फीति दरों और कॉस्ट ऑफ लिविंग की लागत के अनुरूप हो.
7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशें
7वें वेतन आयोग की प्रमुख सिफारिशें में न्यूनतम वेतन में बढ़ोतरी सबसे अहम थी. आयोग ने एक्रोयड फॉर्मूले के आधार पर नए कर्मचारियों के लिए न्यूनतम वेतन 18,000 रुपये निर्धारित किया, जो पिछले आयोग के तहत 7,000 रुपये के मुकाबले उल्लेखनीय वृद्धि है.
वहीं, अधिकतम पे स्केल के लिए 225,000 रुपये प्रति माह और कैबिनेट सचिव और समान वेतन स्तर पर अन्य के लिए 250,000 रुपये प्रति माह किया. आयोग ने नए रिटायर अधिकारियों के लिए पेंशन में लगभग 23.66 फीसदी की वृद्धि की गई, जिससे सेवानिवृत्त लोगों के लिए बेहतर वित्तीय सुरक्षा सुनिश्चित हुई.
7वें वेतन आयोग ने ग्रेच्युटी की सीमा को 10 लाख रुपये से बढ़ाकर 20 रुपये लाख करने का प्रस्ताव रखा. इसके अतिरिक्त, वे रेकामेंड करते हैं कि जब भी महंगाई भत्ता (डीए) 50 प्रतिशत से अधिक हो, तो इस सीमा में 25प्रतिशत की वृद्धि होनी चाहिए. आयोग ने सरकारी कर्मचारियों के मूल वेतन में वृद्धि के साथ तालमेल बिठाने के लिए हाउस रेंट अलाउंस (HRA) में 24 प्रतिशत की वृद्धि करने का सुझाव दिया. इसने 3 प्रतिशत प्रति वर्ष की वार्षिक वेतन वृद्धि दर को बरकरार रखा गया .
आयोग ने कर्मचारियों की जरूरतों को बेहतर ढंग से पूरा करने के लिए संशोधित दरों का प्रस्ताव करते हुए, केंद्र सरकार कर्मचारी समूह बीमा योजना को अपडेट करने की सिफारिश की. 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को 1 जनवरी, 2016 को लागू किया गया था, और तब से इसने केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के वित्तीय परिदृश्य को महत्वपूर्ण रूप से प्रभावित किया है.