कोलकता :लाल सागर संकट के गहराने से यूरोप, उत्तरी अमेरिका उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के कुछ हिस्सों के साथ भारत के व्यापार पर असर पड़ा है. एक ओर जहां बासमती चावल और समुद्री उत्पादों के निर्यात पर सबसे अधिक प्रभाव पड़ा है. वहीं दूसरी ओर रूस और यूक्रेन से सूरजमुखी तेल के आयात पर भी इसका उपयोग पड़ा है. अक्सर ठंड के मौसम में इस्तेमाल होने वाले ये उत्पाद 6 से 7 रुपये प्रतिकिलोग्राम तक महंगा हो गया है. इसके बावजूद उत्पाद समय से नहीं पहुंच रहे हैं. इसमें करीब 18 से 20 दिन की देरी हो रही है.
घरेलू बाजार में बासमती चावल की कीमतों में करीब 10 प्रतिशत की गिरावट आई है क्योंकि इसके सबसे बड़े उपभोक्ता मध्य पूर्व तक निर्यात में समस्या आ रही है.फेडरेशन ऑफ इंडियन एक्सपोर्ट ऑर्गेनाइजेशन (FIEO) के महानिदेशक और सीईओ डॉ. अजय सहाय ने कहा कि लाल सागर संकट अब लंबा होता दिख रहा है. हौथी हमलों में ईरान की संलिप्तता से महौल और खराब होगा. लॉजिस्टिक्स अब एक बड़ी चिंता बन गई है जो निर्यात और आयात को प्रभावित कर रही है.
गुरुवार को जारी क्रिसिल रेटिंग्स की रिपोर्ट में कहा गया है कि मध्य पूर्व में लाल सागर के आसपास चल रहे संकट का प्रभाव उद्योग और क्षेत्र-विशिष्ट और व्यापार बारीकियों के आधार पर अलग-अलग होने की उम्मीद है. एक ओर, कृषि वस्तुओं और समुद्री खाद्य पदार्थों जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले कारोबारियों को माल खराब होने या ट्रांसपोटेशन में लागत बढ़ने से होने वाली समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. ऐसे कारोबारियों की जोखिम को सहने की क्षमता कम हो गई है.
दूसरी ओर, कपड़ा, रसायन और पूंजीगत सामान जैसे क्षेत्रों में काम करने वाले कारोबारी ट्रांसपोटेशन की उच्च लागतों को वहन करने की बहुत कम क्षमता रखते हैं क्योंकि इस सेगमेंट में कारोबार पहले ही काफी मार्जिन पर होता है. इसका असर हमें अगली कुछ तिमाहियों में नजर आयेगा. वर्तमान स्थितियों के कारण ऑर्डर रुक गये हैं और पूंजी प्रवाह का चक्र पर इसका असर दिख रहा है.
भारतीय कंपनियां यूरोप, उत्तरी अमेरिका, उत्तरी अफ्रीका और मध्य पूर्व के हिस्से के साथ व्यापार करने के लिए स्वेज नहर के माध्यम से लाल सागर मार्ग का उपयोग करती हैं. पिछले वित्त वर्ष में भारत के 18 लाख करोड़ रुपये के निर्यात का 50% और 17 लाख करोड़ रुपये के आयात का 30% इन क्षेत्रों से आया था. पिछले वित्त वर्ष में भारत का कुल व्यापारिक व्यापार (निर्यात और आयात संयुक्त) 94 लाख करोड़ रुपये था, जिसमें 68% (मूल्य के संदर्भ में) और 95% (मात्रा के संदर्भ में) समुद्र के माध्यम से भेजा गया था.