नई दिल्ली:स्टैटिस्टिक्स एंड प्रोग्राम मिनिस्ट्री (MoSPI) ने 2022-23 और 2023-24 के दौरान आयोजित किए जाने वाले हाउसहोल्ड कंजप्शन व्यय पर लगातार दो सर्वे किए थे. इनमें से दूसरे के सारांश निष्कर्षों को 27 दिसंबर 2024 को एक फैक्ट शीट के रूप में पब्लिश किया गया है. इससे पहले 2022-23 के सर्वे की विस्तृत रिपोर्ट और यूनिट लेवल के आंकड़े जून 2024 में जारी किए गए थे.
2023-24 की विस्तृत रिपोर्ट यूनिट लेवल के आंकड़ों के साथ 30 जनवरी 2025 को जारी की गई है. घरेलू उपभोग व्यय सर्वे ( HCES) को गुड्स एंड सर्विस पर घरों के उपभोग और व्यय के बारे में जानकारी एकत्र करने के लिए डिजाइन किया गया है.
सर्वे, आर्थिक कल्याण में रुझानों का आकलन करने और उपभोक्ता मूल्य सूचकांक की गणना के लिए उपयोग किए जाने वाले कंजप्शन वस्तुओं और सेवाओं और भार को निर्धारित करने और अपडेट करने के लिए आवश्यक डेटा प्रदान करता है. HCES में एकत्र किए गए डेटा का उपयोग गरीबी, असमानता और सामाजिक बहिष्कार को मापने के लिए भी किया जाता है.
हाउस होल्ड कंजप्शन सर्वे (Ministry of Statistics and Programme Implementation) 2023-24 के MPCE के अनुमान देश के सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में फैले केंद्रीय नमूने में 261,953 परिवारों (ग्रामीण क्षेत्रों में 1,54,357 और शहरी क्षेत्रों में 1,07,596) से एकत्र किए गए आंकड़ों पर आधारित हैं. एचसीईएस 2022-23 की तरह, एचसीईएस 2023-24 में भी एमपीसीई के अनुमानों के दो सेट तैयार किए गए हैं.
हाउस होल्ड कंजप्शन सर्वे (Ministry of Statistics and Programme Implementation) पहला से विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों द्वारा मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के मूल्यों पर विचार किए बिना तैयार किया गया है, जबकि दूसरा विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों द्वारा मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के मूल्यों पर विचार करते हुए डिजाइन किया गया है.
HCES 2023-24 सर्वे में किया मिला
2023-24 में ग्रामीण और शहरी भारत में औसत MPCE क्रमशः 4 122 रुपये और 6996 रुपये होने का अनुमान लगाया गया है, जिसमें विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से परिवारों द्वारा मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के मूल्यों को शामिल नहीं किया गया है.
हाउस होल्ड कंजप्शन सर्वे (Ministry of Statistics and Programme Implementation) आंकड़े बताते हैं कि 18 प्रमुख राज्यों के ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के औसत एमपीसीई प्रमुख राज्यों में, छत्तीसगढ़ में 2022-23 और 2023-24 में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में एमपीसीई सबसे कम है.ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2022-23 में यह 2,466 रुपये और 2023-24 में 2,739 रुपये था, जबकि शहरी क्षेत्रों के लिए यह 2022-23 में 4,483 रुपये और 2023-24 में 4,927 रुपये) था. यह MPCE ग्रामीण क्षेत्रों में केरल (2022-23 में 5,924 रुपये और 2023-24 में 6,611 रुपये) और शहरी क्षेत्रों में तेलंगाना (2022-23 में 8,158 रुपये और 2023-24 में 8,978 रुपये) में सबसे अधिक है.
हाउस होल्ड कंजप्शन सर्वे (Ministry of Statistics and Programme Implementation) विभिन्न सामाजिक कल्याण कार्यक्रमों के माध्यम से मुफ्त में प्राप्त वस्तुओं के अनुमानित मूल्यों पर विचार करते हुए, ये अनुमान ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए क्रमशः 4,247 रुपये और 7,078 रुपये हो जाते हैं. वहीं, राष्ट्रीय स्तर पर एमपीसीई शहरी-ग्रामीण अंतर 2011-12 में 84 प्रतिशत से घटकर 2022-23 में 71 प्रतिशत हो गया है और यह 2023-24 में और कम होकर 70 फीसदी रह गया है.
लगभग सभी 18 प्रमुख राज्यों में ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में कंज्पशन असमानता 2022-23 के स्तर से 2023-24 में कम हो गई है. वहीं, देशभर में उपभोग व्यय का गिनी गुणांक ग्रामीण क्षेत्रों के लिए 2022-23 में 0.266 से 2023-24 में 0.237 और शहरी क्षेत्रों के लिए 2022-23 में 0.314 से 2023-24 में 0.284 हो गया है.
ग्रामीण क्षेत्र में कुल फूड कंजप्शन में आइटम कैटेगरी 'पेय पदार्थ, फूड प्रोसेसिंग आदि' का हिस्सा 18 प्रमुख राज्यों में से 9 में अधिकतम रहा है, जबकि गुजरात, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान और उत्तर प्रदेश में 'दूध और दूध उत्पादों' का हिस्सा अधिकतम रहा है, केरल में, 'अंडा, मछली और मांस' का योगदान सबसे अधिक है. शहरी क्षेत्र में भी 'पेय पदार्थ, प्रसंस्कृत खाद्य आदि' का हिस्सा लगभग सभी प्रमुख राज्यों के लिए कुल खाद्य व्यय में अधिकतम रहा है, छत्तीसगढ़, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तर प्रदेश को छोड़कर जहां खपत का अधिकतम हिस्सा दूध और दूध उत्पादों का रहा है,
हाउस होल्ड कंजप्शन सर्वे (Ministry of Statistics and Programme Implementation) अलग-अलग सामाजिक समूहों में एमपीसीई में अंतर
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में विभिन्न सामाजिक समूहों के लिए औसत एमपीसीई में काफी अंतर है. सामाजिक समूहों के बीच औसत एमपीसीई ग्रामीण और शहरी दोनों क्षेत्रों में 'अन्य' कैटेगरी के लिए सबसे अधिक है, इसके बाद 2022-23 और 2023-24 दोनों में ओबीसी है.
घरों में एमपीसीई में अंतर
ग्रामीण क्षेत्रों में गैर-कृषि में नियमित वेतन/वेतनभोगी आय’ कैटेगरी से संबंधित घरों में 2023-24 में सबसे अधिक औसत एमपीसीई है. उसके बाद ‘अन्य’ कैटेगरी है, जबकि शहरी क्षेत्रों में ‘अन्य’ कैटेगरी के लिए औसत एमपीसीई सबसे अधिक है. उपभोग असमानता का एक मापक गिनी गुणांक शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में 2022-23 के स्तर से लगभग सभी प्रमुख राज्यों में कम हो गया है.
प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना (पीएम-जेएवाई) या कोई अन्य समान राज्य विशिष्ट योजनाएं लाभार्थियों को सेवा वितरण के बिंदु पर स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तक कैशलेस पहुंच प्रदान करती हैं, यानी अस्पताल और लाभार्थी को प्राप्त सेवाओं की लागत के बारे में कोई जानकारी नहीं होती है.
ऐसी योजनाओं के लिए पूरा प्रीमियम सरकार द्वारा वहन किया जाता है और लाभार्थी कोई योगदान नहीं देता है. चूंकि एचसीईएस रिकॉर्ड-आधारित सर्वेक्षण नहीं है, इसलिए अक्सर यह पता लगाना संभव नहीं होता है कि किस बीमारी या रोग के लिए लाभ उठाया गया है. इसलिए, ऐसी सेवाओं के लिए व्यय में शामिल जटिलता और औचित्य को देखते हुए, परिवारों द्वारा मुफ्त में प्राप्त की गई स्वास्थ्य सेवाओं के व्यय को आरोपित करने का कोई प्रयास नहीं किया गया है. इसी तरह के कारणों से मुफ्त शिक्षा सेवाओं (यानी, स्कूल या कॉलेज की फीस की प्रतिपूर्ति/माफी) के लिए व्यय को भी आरोपित नहीं किया गया है.
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