नई दिल्ली:श्रम मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने गुरुवार को कहा कि केंद्र सरकार आगामी सुधारों के तहत पेंशन में कॉन्ट्रिब्यूशन करने वाले कर्मचारी की सैलरी पर लगी सीमा को हटाने पर विचार कर रही है, ताकि रिटायर्मेंट के बाद ज्यादा पैसा चाहने वालों के लिए अधिक कटौती संभव हो सके.
नियोक्ता और कर्मचारी दोनों को कानून के अनुसार कर्मचारी के मूल वेतन का 12 फीसदी कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) द्वारा प्रबंधित एक कोष में योगदान करना आवश्यक है. भविष्य निधि लगभग 67 मिलियन वेतनभोगी भारतीयों को रिटायर्मेंट के बाद बेनेफिट्स प्रदान करती है और अक्सर वर्किंग क्लास के लिए जीवन भर की सेविंग का मुख्य कोष होती है.
भविष्य निधि में नियोक्ता के कुल योगदान में से 8.33 फीसदी ईपीएफओ की कर्मचारी पेंशन योजना में जाता है और 3.67 प्रतिशत हर महीने भविष्य निधि में जाता है, जो अधिकतम 15,000 की वेतन सीमा पर देय होता है.
नियोक्ताओं को करना होगा 8.33 फीसदी कॉन्ट्रिब्यूशन
ईपीएफ अधिनियम के तहत नियोक्ताओं को 1 सितंबर 2014 के बाद योजना में शामिल होने वाले कर्मचारियों के लिए अधिकतम 15,000 पर 8.33 फीसदी का पेंशन योगदान करना होगा, भले ही उन्हें हाई सैलरी मिल रही हो. एक अन्य प्रावधान के अनुसार, जो कर्मचारी पेंशन योजना का हिस्सा हैं और वे 1 सितंबर 2014 से पहले से सर्विस कर रहे थे, वे पेंशन योजना में 8.33 प्रतिशत का योगदान कर सकते हैं.