नई दिल्ली: वित्त वर्ष 2024-25 के लिए प्री-बजट डॉक्यूमेंट में अनाज के अधिक उत्पादन में कटौती करने के लिए नीतिगत सुधारों का सुझाव दिया गया है. जबकि दालों और खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ावा दिया गया है, जिनका देश वर्तमान में घरेलू कमी को पूरा करने के लिए आयात करता है.
शुक्रवार को संसद में पेश किए गए इकोनॉमिक सर्वे (आर्थिक सर्वेक्षण) 2024-25 में इस बात पर जोर दिया गया कि अलग-अलग विकास पहलों के बावजूद भारत के कृषि क्षेत्र में "काफी अप्रयुक्त विकास क्षमता" (Considerable untapped growth potential) है. इसमें कहा गया है कि, किसानों को बाजार से बिना किसी बाधा के मूल्य संकेत प्राप्त करने की अनुमति दी जानी चाहिए. इसके साथ ही कमजोर परिवारों की सुरक्षा के लिए अलग मैकेनिज्म होना चाहिए.
डॉक्यूमेंट में तीन प्रमुख नीतिगत बदलावों की रूपरेखा दी गई है. मूल्य जोखिम हेजिंग के लिए मार्केट मैकेनिज्म स्थापित करना, अत्यधिक फर्टिलाइजर उपयोग को रोकना और पहले से ही सरप्लस में मौजूद पानी और सघन खेती के उत्पादन को कम करना शामिल है. सर्वेक्षण में कहा गया है कि, ये नीतिगत बदलाव इलाके में भूमि और श्रम उत्पादकता को बढ़ाकर अर्थव्यवस्था में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने में मदद करेंगे.
वित्त वर्ष 17 और वित्त वर्ष 23 के दौरान कृषि क्षेत्र की वृद्धि औसतन 5 प्रतिशत वार्षिक रही, जो चुनौतियों के बावजूद लचीलापन दिखाती है. वित्त वर्ष 2025 की दूसरी तिमाही में इस क्षेत्र में 3.5 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो पिछली चार तिमाहियों में 0.4-2.0 प्रतिशत की वृद्धि दर से उबर रही है.